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मोदी सरकार ने चीनी निर्यात शुल्क को किया खत्म

केंद्र सरकार ने आज एक बड़ा फैसला लेते हुए कच्ची और परिष्कृत चीनी पर एक्सपोर्ट ड्यूटी (निर्यात शुल्क) को पूरी तरह से खत्म कर दिया। सरकार ने यह फैसला शिपमेंट को बढ़ावा देने के लिए लिया है क्योंकि चालू वित्त वर्ष 2017-18 के मार्केटिंग सीजन में देश 29.5 मिलियन टन चीनी का उत्पादन करने के लिए पूरी तरह से तैयार है। आपको बता दें कि चीनी पर एक्सपोर्ट ड्यूटी की दर अभी तक 20 फीसद निर्धारित थी।

पृष्ठभूमि

केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क बोर्ड (CBEc) ने बताया कि अब यह फैसला लिया गया है कि रॉ सुगर, व्हाइट सुगर और रिफाइंड सुगर पर एक्सपोर्ट ड्यूटी को 20 फीसद से घटाकर निल पर लाया जाए। इससे पहले सरकार ने शिपमेंट की जांच के लिए चीनी पर आयात शुल्क को दोगुना बढ़ाकर 100 फीसद कर दिया था। चीनी के मामले में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक देश है। 2017-18 के मार्केटिंग इयर (अक्टूबर से सितंबर की अवधि) के दौरान इसका आउटपुट तेजी से बढ़कर 29.5 करोड़ टन होने का अनुमान है, जबकि बीते वर्ष की समान अवधि के दौरान यह 20.3 मिलियन टन रहा था। आपको बता दें कि देश में चीनी की घरेलू मांग सालाना 24-25 मिलियन टन है।पिछले वर्ष की तुलना में 2017-18 विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी उत्पादन का तेजी से बढ़कर 29.5 मिलियन टन (एमटी) होने का अनुमान है। घरेलू मांग सालाना 24-25 मिलियन टन है घरेलू कीमतों में उत्पादन की लागत से गिरावट आने के कारण अधिशेष घरेलू स्टॉक को समाप्त करने के लिए निर्यात शुल्क को रद्द करना था। फरवरी 2018 में सरकार ने चीनी पर आयात शुल्क दोगुना बढ़ाकर 100% कर दिया और गिरने की कीमतों पर जांच रखने के लिए मिलों द्वारा बिक्री प्रतिबंधित की।

पाकिस्‍तान, जिसने चीनी निर्यात पर सब्सिडी देने का फैसला किया है, 340 डॉलर प्रति टन के हिसाब से चीनी बेच रहा है, इस कीमत पर भारत को चीनी बेचने में मुश्किल होगी। भारत का मौजूदा घरेलू दाम 460 डॉलर प्रति टन है। एक सरकारी अधिकारी ने कहा कि यदि वैश्विक बाजार लगातार भारतीय निर्यातकों के लिए अनाकर्षक बने रहते हैं तो केंद्र सरकार चीनी मिलों को निर्यात के लिए प्रोत्‍साहन देने पर विचार कर सकती है। अधिकारी ने कहा कि सरकार चीनी की स्‍थानीय बिक्री पर टैक्‍स लगा सकती है और इससे मिलने वाली राशि का इस्‍तेमाल निर्यात प्रोत्‍साहन में किया जाएगा।  भारत का चीनी वर्ष अक्‍टूबर से सितंबर तक चलता है, लेकिन गन्‍ने की पिराई दिसंबर के आसपास शुरू होती है और यह मार्च एवं अप्रैल तक समाप्‍त हो जाती है।

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