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प्रधानमंत्री जैविक खेती पोर्टल

Pradhan Mantri Jaivik Kheti Portal जैविक खेती पोर्टल- माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए देश के किसानों के लिए ‘जैविक खेती पोर्टल’ का शुभारंभ करेंगे। प्रधानमंत्री मोदी 16 मार्च से 18 मार्च 2018 तक नई दिल्ली में IARI पुसा में आयोजित कृषि उन्नती मेला (भारतीय कृषि मेला) में इस वेब पोर्टल का उद्घाटन करेंगे। जैविक खेती पोर्टल कृषि, सटीक खेती, जैविक खेती और अन्य कृषि व्यवसाय मॉडल में डिजिटल प्रौद्योगिकी की सुविधा प्रदान करेगा।

भारत एक कृषि प्रधान तथा कृषि देश की अर्थ व्यवस्था का प्रमुख साधन है। भोजन मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता है और अन्न से ही जीवन है, इसकी पूर्ति के लिए 60 के दशक में हरित क्रान्ति लाई गई ओर अधिक अन्न उपजाओं का नारा दिया गया, जिसके परिणामस्वरूप रासायनिक उर्वरकों ओर कीटनाशकों का अन्धा-धुन्ध व असन्तुलित उपयोग प्रारम्भ हुआ। इससे उत्पादन तो बढ़ा उत्पादकता में स्थिरता आने के कारण पूर्व वर्षो की उत्पादन वृद्धि पर असर पड़ने लगा।
पिछले कुछ समय से रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों के अन्धा-धुन्ध व असन्तुलित प्रयोग का प्रभाव मनुष्य व पशुओं के स्वास्थ्य पर नहीं हुआ, बल्कि इसका कुप्रभाव पानी, भूमि एंव पर्यावरण पर भी स्पष्ट दिखाई देने लगा है।

जैविक खेती क्या है

जैविक खेती एक ऐसी पद्धति है, जिसमें रासायनिक उर्वरकों, कीटनाशकों तथा खरपतवारनाशियों के स्थान पर जीवांश खाद पोषक तत्वों (गोबर की खाद कम्पोस्ट, हरी खाद, जीवणु कल्चर, जैविक खाद आदि) जैव नाशियों (बायो-पैस्टीसाईड) व बायो एजैन्ट जैसे क्राईसोपा आदि का उपयोग किया जाता है, जिससे न केवल भूमि की उर्वरा शक्ति लम्बे समय तक बनी रहती है, बल्कि पर्यावरण भी प्रदूषित नहीं होता तथा कृषि लागत घटने व उत्पाद की गुणवत्ता बढ़ने से कृषक को अधिक लाभ भी मिलता है।

जैविक खेती पोर्टल

मिट्टी, पारिस्थितिक तंत्र और लोगों के स्वास्थ्य के लिए जैव खेती की आवश्यकता है। यह वेब पोर्टल किसानों के लिए लाइव प्रदर्शन युक्तियां प्रदान करेगा। यह एकीकृत खेती तंत्र, नई फसल की बढ़ती प्रौद्योगिकियों और संरक्षित खेती पर भी सुझाव देगा।
स्थानीय स्थितियों के अनुसार जैविक खेती पारिस्थितिक प्रक्रियाओं, जैव विविधता और निरंतर पक्ष में है। इसके प्रतिकूल प्रभावों वाले इनपुट के उपयोग को भी समाप्त कर दिया गया है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस जैविक खेती पोर्टल / कार्बनिक फार्मिंग पोर्टल का उद्घाटन 17 मार्च 2018 को करेंगे I

कृषि उन्नाती मेला 2018

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) द्वारा आयोजित कृषि उन्नीती मेला 2018 में पूसा में 16 से 18 मार्च तक आयोजित किया जाएगा। यह निष्पक्ष मेला कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय और ICAR द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया जा रहा है।
मेले में मिट्टी और पानी की मुफ्त जाँच का किसान लाभ प्राप्त कर सकेंगे। फसलों के प्रकार, फसलों की अवधि, फसलों, उर्वरकों और कीटनाशकों आदि के लिए पानी ऐसे विषय हैं जिन पर कृषि वैज्ञानिक लगातार काम कर रहे हैं। क्योंकि इन पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है।

जैविक खेती के सिद्धांत

1. प्रकृति की धरोहर है।
2. प्रत्येक जीव के लिए मृदा ही स्त्रोत है।
3. हमें मृदा को पोषण देना है न कि पौधे को जिसे हम उगाना चाहते है।
4. उर्जा प्राप्त करने वाली लागत में पूर्ण स्वतंत्रता।
5. परिस्थितिकी का पुनरूद्धार।

जैविक खेती का उद्देश्य

1. कार्वनिक खादों का उपयोग।
2. जीवाणु खादों का प्रयोग।
3. फसल अवशेषों का उचित उपयोग
4. जैविक तरीकों द्वारा कीट व रोग नियंत्रण
5. फसल चक्र में दलहनी फसलों को अपनाना।
6. मृदा संरक्षण क्रियाएं अपनाना।

जैविक खेती के महत्व:-

1. भूमि की उर्वरा शक्ति में टिकाउपन
2. जैविक खेती प्रदुषण रहित
3. कम पानी की आवश्यकता
4. पशुओं का अधिक महत्व
5. फसल अवशेषों को खपाने की समस्या नहीं
6. अच्छी गुणवत्ता की पैदावार
7. कृषि मित्रजीव सुरक्षित एवं संख्या में बढोतरी
8. स्वास्थ्य में सुधार
9. कम लागत
10. अधिक लाभ

कृषकों की दृष्टि से लाभ –
1. भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृध्दि हो जाती है।
2. सिंचाई अंतराल में वृध्दि होती है ।
3. रासायनिक खाद पर निर्भरता कम होने से कास्त लागत में कमी आती है।
4. फसलों की उत्पादकता में वृध्दि।

जैविक खादें:- नाडेप, बायोगैस स्लरी, वर्मी कम्पोस्ट, हरी खाद, जैव उर्वरक (कल्चर), गोबर की खाद, नाडेप फास्फो कम्पोस्ट, पिट कम्पोस्ट (इंदौर विधि), मुर्गी का खाद

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