इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत एक विभाग द्वारा राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय (एनएससीएस) और अन्य सुरक्षा एजेंसियों को भेजी गई एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आधिकारिक भारतीय वेबसाइटों पर साइबर हमलों की अधिकतम संख्या चीन, अमेरिका और रूस से है। इसने भारतीय साइबर स्पेस में घुसपैठ करने और दुर्भावनापूर्ण गतिविधियों को करने के लिए जर्मन और कनाडाई साइबर स्पेस का उपयोग करके पाकिस्तान के दुर्भावनापूर्ण कलाकारों की संभावना को भी ध्वजांकित किया है।
निष्कर्षों के मुताबिक, 35 प्रतिशत साइबर हमलों ने देखा कि भारतीय साइबर स्पेस चीन से आया था, जबकि अमेरिका और रूस जैसे अन्य देशों के साथ भी खतरे का एक बड़ा हिस्सा बन रहा है। पाकिस्तान को खतरे के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि यह भारतीय साइबर स्पेस में प्रवेश करने और इसे हमला करने के लिए कनाडाई और जर्मन साइबर स्पेस का उपयोग करता है।
रिपोर्ट की मुख्य हाइलाइट्स
यह रिपोर्ट अप्रैल-जून 2018 में भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In) द्वारा तैयार की गई थी। साइबर सुरक्षा, हैकिंग और फ़िशिंग जैसी धमकी इस टीम द्वारा निपटाई जाती है क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि कोई भी दुर्भावनापूर्ण कारक समाप्त हो जाए। रिपोर्टों से पता चला है कि चीन, अमेरिका और रूस भारत के कुल साइबर हमलों के 67% प्रतिशत के लिए जिम्मेदार हैं जबकि पाकिस्तान, कनाडा और जर्मनी में 21 प्रतिशत की राशि है।
रिपोर्ट में पता चला है कि जिन संगठनों पर असर पड़ा है उनमें भारतीय रेलवे खानपान और पर्यटन निगम (IRCTC), तेल और प्राकृतिक गैस निगम (ONGC) और पंजाब नेशनल बैंक, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स, स्टेट बैंक ऑफ इंडिया जैसे कुछ बैंक शामिल हैं। कर्नाटक, मध्य प्रदेश और कर्नाटक जैसे राज्यों के डाटा सेंटर भी प्रभावित हुए हैं।
रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि इन साइबर स्पेस खतरों की नियमित रूप से निगरानी की जा रही है और उचित तरीके से निपटाया जा रहा है। चीन और अमेरिका और रूस के बाद सबसे अधिक घुसपैठ के साथ चीन होता है। साइबर स्पेस में कनाडाई और जर्मन घुसपैठ पाकिस्तान से होने का संदेह है क्योंकि उन्होंने नियमित रूप से भारतीय साइबर स्पेस पर हमला करने के लिए इन प्लेटफार्मों का उपयोग किया है।
भारतीय कंप्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम (CERT-In)
CERT-In सूचना प्रौद्योगिकी विभाग, इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय के तहत सूचना प्रौद्योगिकी (साइबर) सुरक्षा के लिए नोडल एजेंसी है। यह 2004 में स्थापित किया गया था। इसका जनादेश विनाशकारी और हैकिंग गतिविधियों के खिलाफ भारतीय साइबर स्पेस और सॉफ्टवेयर आधारभूत संरचना की रक्षा करना है। यह कंप्यूटर सुरक्षा घटनाओं, भेद्यताओं पर रिपोर्ट और पूरे देश में प्रभावी आईटी सुरक्षा प्रथाओं को बढ़ावा देने का भी जवाब देता है। यह सूचना सुरक्षा प्रथाओं, रोकथाम के संबंध में दिशानिर्देश, भेद्यता नोट्स, सलाहकार और श्वेतपत्र भी जारी करता है।
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