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इंटरनेट क्या है इंटरनेट का इतिहास – हिंदी में

इंटरनेट क्या है इंटरनेट दुनिया भर के लोगों के लिए रोजमर्रा की जिंदगी का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। लेकिन अगर आपने पहले कभी इंटरनेट का उपयोग नहीं किया है, तो यह सारी नई जानकारी पहली बार में थोड़ी भ्रमित करने वाली लग सकती है। इस पूरे ट्यूटोरियल में, हम इंटरनेट के बारे में और इसके उपयोग के तरीके के बारे में आपके कुछ बुनियादी सवालों के जवाब देने की कोशिश करेंगे। जब आप काम पूरा कर लेंगे, तो आपको इस बात की अच्छी समझ होगी कि इंटरनेट कैसे काम करता है, इंटरनेट से कैसे कनेक्ट होता है, और वेब कैसे ब्राउज़ किया जाता है। इंटरनेट (Internet) का उद्भव एवं विकास वर्ष 1960 में अमेरिका के प्रतिरक्षा विभाग के मुख्यालय पेण्टागन स्थित एडवांस्ड रिसर्च प्रोजेक्ट एजेन्सी (ARPA) की सकंल्पना से हुआ था। इंटरनेट विश्व का सबसे बड़ा नेटवर्क है, जिससे दुनिया भर में अनेक नेटवर्क जुड़े हुए हैं। अत: इसे तकनीकी रूप से इस प्रकार परिभाषित किया जा सकता है-“इंटरनेट कम्प्यूटर नेटवर्कों का एक नेटवर्क है।”

इंटरनेट क्या है?

इंटरनेट अरबों कंप्यूटरों और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का वैश्विक नेटवर्क है। इंटरनेट के साथ, लगभग किसी भी जानकारी तक पहुंच बनाना, दुनिया में किसी और के साथ संवाद करना और बहुत कुछ करना संभव है। यह सब आप कंप्यूटर को इंटरनेट से जोड़कर कर सकते हैं, जिसे ऑनलाइन जाना भी कहते हैं। जब कोई कहता है कि कंप्यूटर ऑनलाइन है, तो यह कहने का एक और तरीका है कि यह इंटरनेट से जुड़ा है।

इंटरनेट का इतिहास

वर्ष 1969 में, लॉस एंजेल्स (Los Angeles) की यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया तथा यूनिवर्सिटी ऑफ यूटा अरपानेट (ARPANET- Advanced Research Projects Agency Network) की शुरुआत के रूप में जुड़े। इस परियोजना का मुख्य लक्ष्य विभिन्न विश्वविद्यालयों तथा अमेरिकी रक्षा मंत्रालय के कम्प्यूटरों को आपस में कनेक्ट करना था। यह दुनिया का पहला पैकेट स्विचिंग नेटवर्क था। 80 के दशक के मध्य, एक और संघीय एजेंसी राष्ट्रीय विज्ञान फाउंडेशन (National Science Foundation) ने एक नया उच्च क्षमता वाला नेटवर्क NSFnet बनाया जो ARPANET से अधिक सक्षम था।

NSFnet में केवल यही कमी थी कि यह अपने नेटवर्क पर केवल शैक्षिक अनुसंधान की ही अनुमति देता था, किसी भी प्रकार के निजी व्यापार की अनुमति नहीं। इसी कारण निजी संगठनों, तथा लोगों ने अपने खुद के नेटवर्क का निर्माण शुरु कर दिया। जिसने बाद में ARPANET तथा के NSFnet से जुड़कर इंटरनेट का निर्माण किया।

भारत में इंटरनेट

भारत में इंटरनेट का प्रवेश वर्ष 1987-88 में ही हो गया था। विदेश संचार निगम लिमिटेड (Videsh Sanchar Nigam Limited, VSNL) द्वारा इंटरनेट सुविधा जनसामान्य को उपलब्ध कराने के उद्देश्य से 15 अगस्त, 1995 से गेटवे इंटरनेट सेवा आरम्भ की गई।

इंटरनेट कैसे काम करता है?

इस समय आप सोच रहे होंगे कि इंटरनेट कैसे काम करता है? सटीक उत्तर बहुत जटिल है और समझाने में थोड़ा समय लगेगा। इसके बजाय, आइए कुछ सबसे महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान दें, जिन्हें आपको जानना चाहिए।

यह महसूस करना महत्वपूर्ण है कि इंटरनेट भौतिक केबलों का एक वैश्विक नेटवर्क है, जिसमें तांबे के टेलीफोन तार, टीवी केबल और फाइबर ऑप्टिक केबल शामिल हो सकते हैं। यहां तक कि वाई-फाई और 3जी/4जी जैसे वायरलेस कनेक्शन भी इंटरनेट एक्सेस करने के लिए इन भौतिक केबलों पर निर्भर हैं। जब आप किसी वेबसाइट पर जाते हैं, तो आपका कंप्यूटर इन तारों पर एक सर्वर को एक अनुरोध भेजता है। एक सर्वर वह जगह है जहां वेबसाइटें संग्रहीत की जाती हैं, और यह आपके कंप्यूटर की हार्ड ड्राइव की तरह काम करती है। अनुरोध आने के बाद, सर्वर वेबसाइट को पुनः प्राप्त करता है और सही डेटा आपके कंप्यूटर पर वापस भेजता है। आश्चर्यजनक बात यह है कि यह सब कुछ ही सेकंड में हो जाता है!

कौन इंटरनेट को नियन्त्रित करता है?

इंटरनेट के सुचारु संचालन के लिए मानदण्डों (Standard) को निर्धारित करने वाले कुछ समूह, कमेटी और बोर्ड हैं, जिनका विवरण निम्नलिखित हैं

  • इंटरनेट आर्किटेक्चर बोर्ड (Internet Architecture Board, IAB) यह एक तकनीकी सलाहकार समूह है और इंटरनेट व इसके प्रोटोकॉल का आर्किटेक्चर का निरीक्षण प्रदान करने के लिए बनी है।
  • इंटरनेट रिसर्च टास्क फोर्स (Internet Research Task Force, IRTF) इसका मुख्य उद्देश्य रिसर्च ग्रुप को बनाना है, जो इंटरनेट के प्रोटोकॉल, एप्लीकेशन, आर्किटेक्चर और टेक्नोलॉजी पर ध्यान देते हैं।
  • इंटरनेट असाइन नम्बर अथॉरिटी (Internet Assigned Number Authority, IANA) इसका मुख्य कार्य प्रोटोकॉल असाइन करना होता है; जैसे-इंटरनेट एड्रेस, डोमेन नेम और इंटरनेट का प्रोटोकॉल नम्बर। –
  • इंटरनेट नेटवर्क इन्फॉर्मेशन सेण्टर (Internet Network Information Centre, INIC) इंटरनेट के लिए डोमेन नेम प्रणाली (Domain Name System, DNS) को परिचालित करने का कार्य InterNIC संचालित करता है।
  • वर्ल्ड वाइड वेब कनसॉर्टियम (World Wide Web Consortium, W3C) W3C वर्ल्ड वाइड वेब (World Wide Web, www) के लिए मुख्य अन्तर्राष्ट्रीय मानक संगठन है। इसका निर्माण वर्ष 1994 में किया गया था। W3C का मुख्यालय संयुक्त रूप से यूनाइटेड स्टेट, यूरोप और जापान के विश्वविद्यालयों में है।
  • इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर (Internet Service Provider, ISP) यह उपयोगकर्ताओं को इंटरनेट कनेक्शन प्रदान करता है। कुछ प्रमुख आईएसपी (ISP) कम्पनियाँ हैं जैसे-एयरटेल, एम टी एन एल, वोडाफोन, आदि।

प्रोटोकॉल्स क्या है?

नेटवर्किंग में, प्रोटोकॉल डेटा स्वरूपण और प्रसंस्करण के लिए नियमों का एक समूह है। नेटवर्क प्रोटोकॉल कंप्यूटर के लिए एक सामान्य भाषा की तरह हैं। एक नेटवर्क के भीतर के कंप्यूटर बहुत अलग सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर का उपयोग कर सकते हैं; हालाँकि, प्रोटोकॉल का उपयोग उन्हें एक-दूसरे के साथ संवाद करने में सक्षम बनाता है।

मानकीकृत प्रोटोकॉल एक सामान्य भाषा की तरह होते हैं जिसका उपयोग कंप्यूटर कर सकते हैं, इसी तरह दुनिया के विभिन्न हिस्सों के दो लोग एक-दूसरे की मूल भाषाओं को नहीं समझ सकते हैं, लेकिन वे एक साझा तीसरी भाषा का उपयोग करके संवाद कर सकते हैं। यदि एक कंप्यूटर इंटरनेट प्रोटोकॉल (आईपी) का उपयोग करता है और दूसरा कंप्यूटर भी करता है, तो वे संवाद करने में सक्षम होंगे – जैसे संयुक्त राष्ट्र दुनिया भर के प्रतिनिधियों के बीच संवाद करने के लिए अपनी 6 आधिकारिक भाषाओं पर निर्भर करता है। लेकिन अगर एक कंप्यूटर आईपी का उपयोग करता है और दूसरा इस प्रोटोकॉल को नहीं जानता है, तो वे संवाद करने में असमर्थ होंगे।

प्रोटोकॉल नियमों का वह सेट है, जो डेटा कम्युनिकेशन की देखरेख करता है। कुछ प्रोटोकॉल का विवरण निम्नलिखित हैं

टी सी पी/आई पी

TCP/IP (Transmission Control Protocol | Internet Protocol) end to end कनैक्टिविटी (जिसमें डेटा की फॉर्मेटिंग, एड्रैसिंग, संचरण के रूट्स और इसे प्राप्त करने की विधि इत्यादि सम्मिलित हैं) प्रदान करता है। IP विभिन्न कम्प्यूटरों को नेटवर्क स्थापित करके आपस में संचार करने की अनुमति प्रदान करता है। IP नेटवर्क पर पैकेट भेजने का कार्य सँभालती है। यह अनेक मानकों (Standards) के आधार पर पैकेटों के एड्रेस को बनाए रखता है। प्रत्येक IP पैकेट में स्रोत (Source) तथा गन्तव्य (Destination) का पता होता है। TCP सन्देश को प्रेषक के पास ही पैकेटों के एक सेट में बदल देता है जिसे प्राप्तकर्ता के पास पुनः इकट्ठा कर सन्देश को वापस प्राप्त कर लिया जाता है। इसे कनेक्शन ऑरिएण्टेड (Connection Oriented) प्रोटोकॉल भी कहते हैं।

फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल

फाइल ट्रांसफर प्रोटोकॉल (File Transfer Protocol, FTP) का उपयोग एक कम्प्यूटर नेटवर्क से किसी दूसरे कम्प्यूटर नेटवर्क में फाइलों को ट्रांसफर करने के लिए किया जाता है। इस प्रोटोकॉल के द्वारा होस्ट कम्प्यूटर या सर्वर से किसी अन्य कम्प्यूटर पर फाइल भी कॉपी की जा सकती है।

हाइपरटैक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल

यह इस बात को सुनिश्चित करता है कि सन्देशों को किस प्रकार फॉर्मेट (Format) व संचरित किया जाता है व विभिन्न कमाण्डों के उत्तर में वेब सर्वर तथा ब्राउजर क्या एक्शन लेंगे। हाइपरटेक्स्ट ट्रांसफर प्रोटोकॉल (HyperText Transfer Protocol, HTTP) एक स्टेटलेस प्रोटोकॉल (Stateless Protocol) है, क्योंकि इसमें प्रत्येक निर्देश स्वतन्त्र होकर क्रियान्वित होते हैं।

प्वॉइण्ट-ट्र-प्वॉइण्ट प्रोटोकॉल

प्वॉइण्ट-टू-प्वॉइण्ट प्रोटोकॉल (Point-to-Point Protocol, PPP)  एक डायल एकाउण्ट है, जिसमें कम्प्यूटर को इंटरनेट पर सीधे जोड़ा जाता है। इस प्रकार के कनेक्शन में एक मॉडेम की आवश्यकता होती है, जिसमें डेटा को 9600 बिट्स/सेकण्ड से भेजा जाता है।

टेलनेट प्रोटोकॉल

टेलनेट (Telnet) प्रोटोकॉल की सहायता से दो कम्प्यूटरों को सम्पर्क में लाया जा सकता है! सूचनाओं को सम्प्रेषित करने वाले कम्प्यूटर का स्थानीय कम्प्यूटर तथा सम्प्रेषित सूचनाओं का अधिग्रहण करने वाले कम्प्यूटर को दूरस्थ कम्प्यूटर Computer) कहते हैं।

गोफर प्रोटोकॉल 

इसका प्रयोग दूरस्थ भागों में इंटरनेट की सहायता से सूचनाओं का अधिग्रहण करने के लिए किया जाता है। गोफर (Gopher) द्वारा प्राप्त की गई सूचनाओं को कई कम्प्यूटरों में संगृहीत किया जा सकता है।

वायरलेस एप्लीकेशन प्रोटोकॉल

इंटरनेट की दुनिया में यह नई क्रान्ति है। मोबाइल-इंटरनेट की अवधारणा को साकार रूप प्रदान करने में वायरलेस एप्लीकेशन प्रोटोकॉल (वैप-WAP) का प्रमुख योगदान है। वैप ब्राउजर, मोबाइल डिवाइसों में प्रयोग होने वाले वेब ब्राउजर हैं। वैप प्रोटोकॉल, वेब ब्राउजर को सेवाएँ प्रदान करता है।

यूजनेट प्रोटोकॉल

इसके अन्तर्गत कोई केन्द्रीय सर्वर या एडमिनिस्ट्रेटर नही होता। इस सेवा के तहत इण्टरनेट उपयोगकर्ताओं का एक समूह, किसी भी विशेष विषय पर अपने विचार, सलाह आदि का आपस में आदान-प्रदान कर सकते हैं।

वॉयस ऑवर इंटरनेट प्रोटोकॉल

यह IP नेटवर्कों पर ध्वनि संचार का वितरण करने में प्रयोग होता है

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