वर्ण किसे कहते है वर्ण व मूल ध्वनि है जिसके खंड या टुकड़े नहीं कर सकते। यह वर्णमाला का सबसे छोटा भाग है जिसे विभाजित नहीं किया जा सकता।
उदहारण- अ, ई, व, च, क इत्यादि।
यह भाषा की सबसे छोटी इकाई होती है जिसके खंडे नहीं किए जा सकते हैं। इसके उदाहरण के रूप में मूल ध्वनियों को स्पष्ट किया जा सकता है। राम शब्द को खंड नहीं किया जा सकता और इसकी 4 ध्वनि हैं। हर वर्ण की अपनी एक अलग लिपि होती है और हिंदी में 52 वर्ण होते हैं।
उदहारण- राम= र + आ + म + अ
वर्णमाला किसे कहते है
भाषाओं को लिखने के लिए कुछ मानक प्रतीकों का प्रयोग होता है। अनेक भाषाओं को बोलने या फिर कागज में लिखने के लिए प्रयोग किए जाने वाले मानक प्रतीकों को वर्णमाला कहा जाता है। वर्णमाला का अर्थ ही है वर्ण से बने हुए शब्द। जिस प्रकार एक मोतियों से मिलकर मारा बनती है उसी प्रकार वर्णों से मिलकर वर्णमाला भी बनती है।
हिन्दी वणमाला में 11 स्वर और 33 व्यंजन है
वर्ण के भेद
हिंदी भाषा में वर्ण के दो भेद प्रयोग किए जाते हैं।
- स्वर
- व्यंजन
स्वर किसे कहते है
- वह वर्ण जिनका उच्चारण किसी अन्य की सहायता से नहीं होता उन्हें स्वर कहा जाता है। इनके उच्चारण में कंठ का प्रयोग आवश्यक होता है।
हिंदी भाषा में 16 स्वर होते हैं- अ, आ, इ, ई, उ, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ, अः, अं, ऋ, ज्ञ, ऌ, ॡ
स्वर के भेद
स्वर के तीन भेद हैं
- ह्रस्व स्वर
- दीर्घ स्वर
- प्लुत स्वर
1. ह्रस्व स्वर, Hrasva swar
- जिन स्वरों के उच्चारण में कम-से-कम समय लगता हैं उन्हें ह्रस्व स्वर कहते हैं।
- ह्रस्व स्वर पांच हैं- अ, इ, उ, ऋ, लृ ।
- इन्हें मूल स्वर भी कहते हैं।
2. दीर्घ स्वर, deergh swar
- जिन स्वरों के उच्चारण में ह्रस्व स्वरों से दुगुना समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते हैं।
- दीर्घ स्वर हिन्दी में सात हैं- आ, ई, ऊ, ए, ऐ, ओ, औ।
- विशेष- दीर्घ स्वरों को ह्रस्व स्वरों का दीर्घ रूप नहीं समझना चाहिए। यहाँ दीर्घ शब्द का प्रयोग उच्चारण में लगने वाले समय को आधार मानकर किया गया है।
3. प्लुत स्वर, plut swar
जिन स्वरों के उच्चारण में दीर्घ स्वरों से भी अधिक समय लगता है उन्हें प्लुत स्वर कहते हैं। प्रायः इनका प्रयोग दूर से बुलाने में किया जाता है।
व्यंजन किसे कहते है
- जिन वर्णों को बोलने में अन्य स्वरों की सहायता लेनी पड़े उन्हें व्यंजन कहा जाता है। व्यंजन वर्ण हैं जिनके उच्चारण में आने की सहायता लेनी पड़े।
व्यंजन संख्या में 33 हैं।
जैसे – क, ख, ग, घ, च, छ, ज, झ
व्यंजन के भेद हैं
व्यंजन के तीन भेद हैं
- स्पर्श
- अंतःस्थ
- ऊष्म
स्पर्श
इन्हें पाँच वर्गों में रखा गया है और हर वर्ग में पाँच-पाँच व्यंजन हैं। हर वर्ग का नाम पहले वर्ग के अनुसार रखा गया है जैसे:
- कवर्ग- क् ख् ग् घ् ड़्
- चवर्ग- च् छ् ज् झ् ञ्
- टवर्ग- ट् ठ् ड् ढ् ण् (ड़् ढ्)
- तवर्ग- त् थ् द् ध् न्
- पवर्ग- प् फ् ब् भ् म्
अंतःस्थ
- अन्तस्थ निम्न चार हैं: य् र् ल् व्
ऊष्म
- ऊष्म व्यंजन निम्न चार हैं- श् ष् स् ह्
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