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टेलीविजन का इतिहास | History of television

टेलीविजन का इतिहास वर्तमान इलेक्ट्रॉनिक्स युग में, टेलीविजन संचार का सबसे प्रभावशाली तथा सक्षम साधन बन गया है। भारतीय दूरदर्शन विश्व के सबसे बड़े प्रसारकों में से एक है। इसने ग्रामीण तथा नगरीय लोगों के सामाजिक तथा सांस्कृतिक जीवन में अनोखे परिवर्तन किए हैं। पॉल नीपकौ (Paul Nipkow) पहले व्यक्ति थे, जिन्होंने टेलीविजन के स्कैनिंग सिद्धान्त की खोज की तथा इमेज (Image) के छोटे हिस्से की रोशनी तीव्रता क्रमिक का विश्लेषण कर प्रेषित किया।

भारत में टेलीविजन का विकास

  •  भारत में टेलीविजन वर्ष 1959 में अस्तित्व में आया, जब बहुराष्ट्रीय कम्पनी फिलिप्स ने भारत में कुछ टीवी उपकरण उपहारस्वरूप दिए, लेकिन आम जनता से इसका जुड़ाव इन्दिरा गाँधी के सत्ता में आने के बाद ही हुआ था।
  • वर्ष 1959 में भारतीय सार्वजनिक सेवा प्रसारक दूरदर्शन की स्थापना प्रसार भारती के एक प्रभाग के रूप में की गई थी। दूरदर्शन ने एक छोटे ट्रांसमीटर और एक अस्थायी स्टूडियो के साथ दिल्ली में प्रयोगात्मक प्रसारण शुरू किया था। नियमित दैनिक प्रसारण ऑल इण्डिया रेडियो के एक भाग के रूप में वर्ष 1965 में शुरू किया गया था और वर्ष 1972 में टीवी सेवा को मुम्बई और अमृतसर के लिए बढ़ाया गया।
  • वर्ष 1982 में रंगीन टीवी तत्कालीन प्रधानमन्त्री इन्दिरा गाँधी के द्वारा स्वतन्त्रता दिवस पर दिए गए भाषण के सीधे प्रसारण और वर्ष 1982 में दिल्ली में आयोजित एशियाई खेलों के प्रसारण के साथ भारतीय बाजार में पेश किया गया था।
  • प्रसार भारती देश में सार्वजनिक सेवा प्रसारक के रूप में अपने दो घटकों ऑल इण्डिया रेडियो और दूरदर्शन के साथ अस्तित्व में है। 26 जनवरी, 2000 को दूरदर्शन द्वारा ज्ञान दर्शन चैनल का प्रारम्भ हुआ था।

टेलीविजन का विकास क्रम

टेलीविजन के विकास का क्रम निम्नलिखित हैं

  • 1897 ई. में जर्मन भौतिकशास्त्री कार्ल फर्डिनाण्ड ब्रॉन ने CRT का आविष्कार किया था और इसे ब्रौन ट्यूब के नाम से भी जाना जाता है।
  • वर्ष 1907 में मारकोनी लैब्स (Marcony Labs) के ब्रिटिश शोधकर्ता एच जे राउण्ड (H J Round) ने सिलिकॉन कार्बाइड के एक क्रिस्टल और एक डिटेक्टर का उपयोग करके इलेक्ट्रॉल्यूमिसेंस (Electroluminescence) की खोज की।
  • वर्ष 1927 में ओलेग लोसिव ने स्वतन्त्र रूप से LED के निर्माण की सूचना दी।
  • वर्ष 1936 में कैलमैन तिहन्यी (Kalman Tihanyi) ने प्लाज्मा टीवी के सिद्धान्त का वर्णन किया और 1 फ्लैट पैनल टीवी प्रणाली की कल्पना की।
  • वर्ष 1988 में पहला एल सी डी (LCD) टीवी, B & W (Black and White) स्क्रीन के साथ एक छोटे से हस्त उपकरण के रूप में पेश किया गया था।

टेलीविजन के प्रकार

टेलीविजन के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं

ट्यूब

(i) इलेक्ट्रॉनिक टीवी (Electronic TV)

कैथोड-रे ट्यूब, इलेक्ट्रॉनिक टीवी में प्रयोग की जाती है और यह एक पिक्चर ट्यूब आधुनिक टीवी सेट के रूप में पाई जाती है। जर्मन वैज्ञानिक कार्ल ब्राउन ने 1897 ई. में कैथोड-रे (CRT) ओस्सिलोस्कोप का आविष्कार किया। इसके अन्तर्गत टीवी संकेतों को 54-890 MHz आवृत्ति बैण्ड में नामित चैनलों पर रेडियो प्रसारण के माध्यम से प्रेषित किया जाता है।

(ii) एनालॉग टीवी (Analog TV) 

यह टीवी का सबसे पुराना रूप है। एनालॉग टीवी में एनालॉग संचरण, जो इनकोडिंग एनालॉग ऑडियो और एनालॉग वीडियो संकेत के एक रूप का प्रसारण शामिल है, ब्रॉडकास्ट सिग्नल द्वारा प्रेषित किया गया सन्देश संकेत की आवृत्ति में जानबूझकर किया गया एक बदलाव है। सभी पूर्ववर्ती प्रसारण टेलीविजनों के द्वारा डिजिटल प्रसारण में डिजिटल टेलीविजन (Digital TV, DTV) के डिजिटल ट्रांसमिशन में एनालॉग संकेतों का उपयोग किया गया। एनालॉग टीवी वायरलेस हो सकता है या इसके लिए केबल कन्वर्टर्स द्वारा ताँबे के तार के इस्तेमाल की आवश्यकता हो सकती है।

(iii) डिजिटल टीवी (Digital TV)

यह एनालॉग टीवी द्वारा प्रयुक्त संकेतों के विपरीत डिजिटल संकेतों से ऑडियो और वीडियो का संचरण करता है। डिजिटल टीवी कई चित्र प्रकारों/प्रारूपों को उनके अलग-अलग आकार के संयोजन, पहलू अनुपात, ऊँचाई के अनुपात (चौड़ाई) और इण्टरलेसिंग (Interlacing) द्वारा परिभाषित एवं प्रेषित करता है। डिजिटल स्थलीय टेलीविजन प्रसारण के साथ, प्रारूपों की सीमा को मोटे तौर पर तीन श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है जो निम्न हैं

  • हाई डेफिनिशन टेलीविजन (High Definition TV, HDTV) यह पारम्परिक SDTV प्रणालियों की तुलना में एक अत्यधिक संकल्पित वीडियो है। SDTV की अपेक्षा हाई डेफिनिशन टेलीविजन के प्रति फ्रेम में लगभग पाँच बार एक या दो मिलियन पिक्सल हैं। प्रारम्भिक HDTV प्रसारण से एनालॉग तकनीक का इस्तेमाल किया गया, लेकिन आज HDTV डिजिटल रूप से वीडियो सम्पीडन (Video Compression) का उपयोग कर प्रसारित किया जाता है। हाई डेफिनिशन को टेलीविजन प्रणालियों की श्रृंखला में शामिल करने का प्रारम्भिक विकास वर्ष 1930 के बाद के दशकों में हुआ। हाई डेफिनिशन (HD) सेवा की शुरूआत वर्ष 1936 में हुई थी।
  • त्रिआयामी टेलीविजन (3D Television) यह एक ऐसा टेलीविजन सेट है, जो त्रिआयामी प्रस्तुति की तकनीकों को अपने में समाहित किए होता है; जैसे-स्टीरियो स्कोपिक कैप्चर, मल्टीन्यूकैप्चर , अथवा 2D प्लस डेप्थ और एक त्रिआयामी डिस्प्ले, जो एक विशेष दृश्य उपकरण है और टेलीविजन है कार्यक्रम को वास्तविक त्रिआयामी क्षेत्र के साथ पेश करता है। त्रिआयामी टेलीविजन सेट आधुनिक होते हैं और सामान्यतः ईथरनेट, यू एस बी प्लेयर एवं रिकॉर्डर, ब्लूटूथ एवं यू एस बी वाई-फाई के साथ आते हैं।
  • इण्टरनेट टेलीविजन (Internet Television) यह एक ऐसी टेलीविजन सेवा है, जो इण्टरनेट प्रोटोकॉल टेलीविजन (IPTV) का उपयोग कर इण्टरनेट के माध्यम से वितरित की गई है। इण्टरनेट टेलीविजन या ऑनलाइन टेलीविजन उपयोगकर्ताओं को कार्यक्रम अभिलेखागार (Archives) अथवा चैनल निर्देशिका से उस कार्यक्रम के चयन की अनुमति देता है, जो कार्यक्रम अथवा टीवी शो देखना चाहते हैं।

(iv) इण्टरनेट प्रोटोकॉल टेलीविजन (Internet Protocol Television, IPTV)

यह एक प्रणाली है, जिसके द्वारा इण्टरनेट टेलीविजन सेवाएँ इण्टरनेट प्रोटोकॉल साइट के नेटवर्किंग तरीकों/ढाँचों/प्रारूपों एवं वास्तुकला का प्रयोग कर लोगों को उपलब्ध कराई गई हैं। उदाहरणस्वरूप, ब्रॉडबैण्ड इण्टरनेट एक्सेस नेटवर्क (Broadband Internet Access Network), पारम्परिक रेडियो आवृत्ति प्रसारण के बजाय उपग्रह संकेत एवं केबल टेलीविजन (Cable TV) प्रारूपों का प्रयोग करता है। आई पी टीवी सेवाओं को तीन समूहों में वर्गीकृत किया जा सकता है

  1.  लाइव टेलीविजन (Live Television)
  2. समय स्थानान्तरित प्रोग्रामिंग (Time-Shifted Television)
  3. अनुरोध पर वीडियो (Video on Demand)

(v) हाइब्रिड आई पी टीवी (Hybrid IPTV)

यह पारम्परिक प्रसारण टीवी सेवाओं एवं प्रबन्धि आई पी नेटवर्क या सार्वजनिक इण्टरनेट प्रसारित किए गए वीडियो का संयोजन है। हाइब्रिड टीवी ने हाइब्रिड आई पी टीवी सेट-अप बॉक्स के विकास की नींव डाली, जिसमें पारम्परिक प्रसारण ट्यूनर और एक इण्टर कनेक्शन, सामान्य तौर पर एक इथरनेट पोर्ट शामिल हैं।

व्यावसायिक रूप से उपलब्ध प्रथम हाइब्रिड आई पी टीवी सेट-अप बॉक्स एडवांस्ड डिजिटल ब्रॉडकास्ट द्वारा वर्ष 2005 में विकसित किया गय जो डिजिटल टेलीविजन के हार्डवेयर ए सॉफ्टवेयर का विकास करता है।

टेलीविजन नेटवर्क

टेलीविजन नेटवर्क (Television Network) कार्यक्रम की सामग्री के वितरण के लिए एक दूरसंचार नेटवर्क है। इसका उपयोग सेवा प्रदाताओं को केबल द्वारा ब्रॉडबैण्ड सेवा प्रदान करने हेतु निहित (Implied) नेटवर्क के रूप में किया जा सकता है। इसके अन्तर्गत वेरी स्मॉल एपर्चर टर्मिनल (VSAT) एवं डायरेक्ट-टू-होम (Direct to Home, DTH) सेवाओं को प्रोत्साहित किया गया, ताकि ब्रॉडबैण्ड एवं इण्टरनेट सेवाओं को सुदूर एवं दुर्गम क्षेत्रों में पहुँचाने में सुविधा हो सके। कुछ प्रमुख टेलीविजन नेटवर्क निम्न हैं

(i) सैटेलाइट मीडिया टूर

(Satellite Media Tour, SMT) सैटेलाइट मीडिया टूर बैक-टू-बैक टीवी और वीडियो साक्षात्कार (Video Interviews) की एक श्रृंखला है, जो अपने प्रवक्ता को कुछ ही घण्टों के भीतर कई टेलीविजन स्टेशनों और/या नेटवर्क द्वारा साक्षात्कार करने की अनुमति देता है।

(ii) स्मार्ट टीवी (Smart TV)

स्मार्ट टीवी एकीकृत इण्टरनेट और वेब 2.0 की सुविधाओं के साथ उपलब्ध एक टीवी सेट या सेट-अप बॉक्स है और यह कम्प्यूटर्स, टीवी सेट और सेट-अप बॉक्स के बीच तकनीकी अभिसरण (Technological Convergence) का एक उदाहरण है। कभी-कभी स्मार्ट टीवी को कनेक्टिड टीवी (Connected TV) या हाइब्रिड टीवी (Hybrid TV) भी कहा जाता है। स्मार्ट टीवी इण्टरनेट टीवी, ऑनलाइन इण्टरेक्टिव मीडिया, ऑन-डिमाण्ड स्ट्रीमिंग मीडिया और होम नेटवर्किंग एक्सेस जैसी सुविधाएँ प्रदान करते हैं।

(iii) डायरेक्ट-टू-होम (Direct-to-Home, DTH)

डायरेक्ट-टू-होम सेवा के तहत उपग्रह द्वारा टेलीविजन कार्यक्रमों एवं चैनलों को एक छोटी-सी डिश और एक डिकोडर/सेट-अप बॉक्स के माध्यम से उच्च फ्रीक्वेंसी कू-बैण्ड (Ku-band) में प्राप्तकर्ता ग्राहक के घरों में सीधा भेजा जाता है।

यह एक बेहतर तकनीक है, जो कार्यक्रम प्रदाताओं के साथ-साथ ग्राहकों को टेलीविजन कार्यक्रमों के वितरण और प्राप्ति का एक विकल्प प्रस्तुत कराती है। डी टी एच सेवाएँ प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वितरण श्रृंखला का एक भाग हैं, जो दूरवर्ती एवं स्थानीय टीवी स्टेशनों का पुनः प्रसारण करती हैं और प्रति-दृश्य भुगतान, नेटवर्क निवेशन, फिल्मों और विशेष चैनलों का वितरण करती हैं।

(iv) इण्टेलसैट (INTELSAT)

विश्व के जिन देशों के पास उपग्रह सुविधा का अभाव था (उपग्रह प्रक्षेपण तकनीक के अभाव के कारण या किसी अन्य कारण से) उनको उपग्रह आधारित संचार व्यवस्था उपलब्ध कराने के लिए वर्ष 1962 में अन्तर्राष्ट्रीय स्तर की एक संस्था इण्टेलसैट का गठन किया गया। विश्व का कोई भी देश इस संस्था का सदस्य बन सकता है, बशर्ते वह इण्टेलसैट द्वारा प्रयोग में लाए गए उपग्रहों की देखभाल में अपनी भागीदारी निभाता हो। भारत भी इण्टेलसैट का एक सक्रिय सदस्य है। इण्टेलमैट का मुख्य कार्य ऐसे देशों को संचार व्यवस्था उपलब्ध कराना है, जिनके पास उपग्रह प्रक्षेपण की तकनीक का अभाव है तथा जो अपने उपग्रह को अन्तरिक्ष में प्रक्षेपित नहीं कर सके। इस पर आने वाली लागत भी सदस्य देशों द्वारा पूरी की जाती है।

टेलीविजन प्रदर्शन के विभिन्न प्रकार

टेलीविजन प्रदर्शन के प्रमुख प्रकार निम्नलिखित हैं

(i) कैथोड-रे ट्यूब प्रोजेक्टर (Cathode-Ray Tube-CRT Projector) 

पारम्परिक प्रोजेक्टर की तरह कैथोड-रे ट्यूब प्रोजेक्टर फॉस्फर कोटेड स्क्रीन (Phosphor Coated Screen) पर इलेक्ट्रॉनों की एक बीम को जलाने के साथ छवि का निर्माण करता है और तब छवि एक बड़ी स्क्रीन पर प्रस्तुत/परावर्तित होती है। ऐसा कैथोड-रे ट्यूब प्रोजेक्टर के आकार की सीमा पर काबू पाने के लिए किया जाता है, जो लगभग 40 इंच का होता है, जोकि एक सामान्य CRT TV सेट का अधिकतम आकार होता है।

RPTV (Rear-Projection Television) में सामान्यत: 3 CRTs का उपयोग किया जाता है, एक लाल, एक हरा और एक नीला और ये इस तरह से एक सीधी रेखा में होते हैं कि अनुमानित छवि पर रंगों का सही सम्मिश्रण जुड़कर पड़ सके।

(ii)लिक्विड क्रिस्टल डिस्प्ले (Liquid Crystal Display, LCD)

एल सी डी टीवी (LCD TV) सफेद प्रकाश के चयनित छिद्रान्वेषण द्वारा काली और रंगीन छवियाँ प्रस्तुत करता है, जो ठण्डे कैथोड चमकीले लैम्प की एक श्रृंखला अथवा स्क्रीन के पीछे उपस्थित रंगीन LEDs द्वारा प्रदान किए जाते हैं। कई सारे LCDs एक ग्रिड में शटर द्वारा व्यवस्थित रहते हैं, जो स्वचालित होते हैं और जिसमें सफेद प्रकाश के आवागमन की सुविधा रहती है।

(iii) प्लाज्मा डिस्प्ले पैनल्स (Plasma Display Panels)

प्लाज्मा डिस्प्ले पैनल्स का परिचय पहली बार वर्ष 1997 में फ्यूजीट्सू (Fujitsu) द्वारा दिया गया था। यह पैनल सामान्यतया काँच के दो पैनलों (Panels) के बीच लाखों छोटी-छोटी कोशिकाओं के बीच कम्पार्टमेन्ट के तरह की जगह है। बिजली के प्रवाह के । साथ इलेक्ट्रॉन प्लाज्मा (Plasma) द्वारा चलते हैं। कुछ इलेक्ट्रॉन पारे के कणों पर प्रहार करते हैं, जब तक कि अतिरिक्त ऊर्जा का वहन होता है। चूँकि इलेक्ट्रॉन, प्लाज्मा के माध्यम से चलते हैं। अत: कुछ इलेक्ट्रॉन पारे के कणों पर प्रहार करते हैं और क्षणभर में पारे का ऊर्जा स्तर बढ़ जाता है।

एक प्लाज्मा प्रदर्शन में प्रत्येक पिक्सल तीन प्रकार की कोशिकाओं से बना है, जिसमें दृश्य प्रकाश के प्राथमिक रंग शामिल हैं। इस प्रकार कोशिकाओं के संकेतों में विचलित होते वोल्टेज कई कथित रंगों के दृश्य प्रभाव को उत्पन्न करने की अनुमति देते हैं।

टेलीविजन प्रदर्शन की कुछ उभरती हुई तकनीकें

टेलीविजन प्रदर्शन की कुछ उभरती हुई तकनीकें निम्न हैं

(i) ऑर्गेनिक लाइट एमिटिंग डायोड (Organic Light Emitting Diode)

यह एक प्रकाश उत्सर्जक डायोड है, जिसमें प्रकाश उत्सर्जक इलेक्ट्रॉल्यूमिनेसेण्ट (Electroluminisant) सतह कार्बनिक यौगिक की एक फिल्म होती है, जो विद्युत तरंग के प्रभाव से प्रकाश उत्सर्जित करती है, दो इलेक्ट्रॉडों के बीच जैविक अचालक सामग्री की एक परत होती है, जिनमें से एक इलेक्ट्रॉड पारदर्शी होता है। OLEDs के दो मुख्य प्रकार हैं

  • छोटे अणुओं पर आधारित OLED
  • पॉलीमर आधारित OLED

कार्बनिक पदार्थों के इलेक्ट्रॉल्यूमिनेसेण्ट को पहली बार 1950 के दशकों में ए बेरननोर (A Bernanore) एवं उसके साथियों द्वारा फ्रांस में उद्घाटित किया गया, वर्ष 1960 में, मार्टिन पोप (Martin Pope) ने ओहमिक डार्क इन्जेक्टिग इलेक्ट्रॉड (Ohmic Dark Injecting Electrode) सम्पर्कों को विकसित किया।

(ii) सरफेस-कण्डक्शन इलेक्ट्रॉन-एमीटर डिस्प्ले (Surface- Conduction Electron-emitter Display, SED)

यह एक इलेक्ट्रॉनिक दृश्य प्रदर्शन है जो रंगीन फॉस्फर को ऊर्जास्वित करने के लिए नैनोस्कोपिक स्केल इलेक्ट्रॉन उत्सर्जक (Nanoscopic Scale Electron Emitters) का इस्तेमाल करता है और एक छवि का निर्माण करता है। SEDS में CRT के लाभ शामिल हैं; जैसे-उच्च कण्ट्रास्ट अनुपात, व्यापक दृश्य कोण एवं LCD तथा अन्य फ्लैट पैनल प्रदर्शन की पैकेजिंग के फायदों के साथ अत्यन्त तीव्र प्रत्युत्तर समय इत्यादि। वे समान आकार के LCD टेलीविजन की अपेक्षा बहुत कम बिजली की खपत करते हैं।

(iii) फील्ड एमीशन डिस्प्ले (Field Emission Display, FED)

फील्ड एमीशन डिस्प्ले एक प्रदर्शन प्रौद्योगिकी है, जो स्वयं में फ्लैट पैनल डिस्प्ले तकनीक को शामिल करती है तथा इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन के स्रोतों के एक बड़ क्षेत्र का उपयोग इलेक्ट्रॉन प्रदान करने में करती है ताकि इलेक्ट्रॉनिक दृश्य प्रदर्शन रंगीन फॉस्फर पर प्रहार कर एक रंगीन छवि का निर्माण कर सके।

FEDs में CRTs के फायदे शामिल हैं, जैसे कि उनका उच्च कण्ट्रास्ट स्तर एवं अत्यन्त तीव्र प्रत्युत्तर समय, साथ ही LCD एवं अन्य फ्लैट पैनल तकनीको के पैकेजिंग लाभ/फायदे व बिजली की कम खपत की सम्भावना भी प्रदान करते हैं। लगभग LCD प्रणाली आधी से अधिक FEDs, SED से सम्बन्धित है। लेकिन केवल इलेक्ट्रॉन उत्सर्जन प्रणाली के विवरण में मुख्य रूप से भिन्न है।

(iv) लेजर वीडियो प्रदर्शन टीवी (Laser Video Display o Laser TV)

वर्तमान टेलीविजन रंग सप्तक का केवल 40% दिखने में सक्षम है, जिसे मनुष्य सम्भावित तौर प अनुभव कर सकते हैं। तीन विभिन्न तरंगदैर्ध्या (ला हरी एवं नीली) पर लेजर टीवी को पराबैंगनी किर (Ultravoilet Rays) की आवश्यकता होती है।

लेजर वीडियो प्रदर्शन या लेजर टीवी एक रिय: प्रोजेक्शन टेलीविजन (Rear Projection Television, RPTV) है, जिसने तीन पराबैंगनी रंग के साथ पारस्परिक उच्च तीव्रता के निर्वहन लैम्प का प्रतिस्थापित किया है। स्क्रीन के चारों ओर स्थित प्रकाश स्रोतों की स्कैनिंग द्वारा ऑप्टोइलेक्ट्रॉनिक्स (Optoelectronics) क उपयोग करते हुए स्क्रीन पर जो छवि आती है, वह पारम्परिक रियर प्रोजेक्शन प्रणाली (Rear Projection System) की तरह है।

(v) इण्टरफेरोमेट्रिक मॉड्यूलेटर (Interferometric Modulator, IMOD)

इण्टरफेरोमेट्रिक मॉड्यूलेटर माइक्रो-इलेक्ट्रो मैकेनिकल प्रणाली (MEMS) पर आधारित उपकरणों के अग्रगण्य उदाहरणों में से एक का प्रतिनिधित्व करता है। यह एक तकनीक है, जिसका प्रयोग इलेक्ट्रॉनिक प्रदर्शनों में किया जाता है, जो प्रतिबिम्बित प्रकाश के हस्तक्षेप के माध्यम से विभिन्न रंग बना सकते हैं।

एक इण्टरफेरोमेट्रिक मॉड्यूलेटर आधारित रिफ्लेक्टिव फ्लैट पैनल डिस्प्ले स्वयं में इण्टरफेरोमेट्रिक मॉड्यूलेटर घटकों की सैकड़ों-हजारों चिह्नित की जाने वाली विशेषताओं को सम्मिलित करती है। इसमें रंग का चयन एक विद्युतीकृत प्रकाश मॉड्यूलेटर द्वारा किया जाता है, जो एक माइक्रोस्कोपिक कैविटी (Microscopic Cavity) के साथ होता है और संचालक के एकीकृत सर्किट द्वारा स्विच ऑन और ऑफ किया जाता है।

यह LCD प्रदर्शनों के समान ही है। एक पिक्सल में एक IMOD आधारित प्रदर्शन होता है, जिसमें एक अथवा अधिक उप-पिक्सल होते हैं, जो वास्तव में एकल माइक्रोस्कोपिक होता है और उपयोग में Fabry-Perot Interferometers (Etalons) संचालन के समान होते हैं और पैमाने में तितली के पंखों जैसे होते हैं।एक IMOD में एक चिन्तनशील झिल्ली होती है, जो एक अर्द्धपारदर्शी फिल्म के साथ सम्बन्ध बनाने के लिए गमन कर सकती है।

IMOD के लिए प्रयोग किए गए वोल्टेज से इलेक्ट्रॉस्टैटिक बलों की उत्पत्ति होती है, जो झिल्ली को एक पतली फिल्म के ढेर के सम्पर्क में लाते हैं। इस गुहा के भीतर चिह्नित हवा के अन्तराल के साथ IMOD एक Optically Vibrant संरचना की तरह व्यवहार करता है, जिसका प्रतिबिम्बित रंग हवा गुहा (Air Cavity) के आकार से निर्धारित होता है।

(vi) क्वाण्टम डॉट-लाइट एमीटिंग डायोड डिस्प्ले (Quantum Dot-Light Emitting Diode Display, QD-LED)

क्वाण्टम डॉट-लाइट एमीटिंग डायोड डिस्प्ले क्वाण्टम डॉट्स अथवा अर्द्धचालक नैनोक्रिस्टल प्रकाश उत्सर्जन तकनीक का एक रूप है एवं नैनो स्केल क्रिस्टल के साथ होते हैं, जो प्रदर्शन तकनीक के लिए एक विकल्प प्रदान करते हैं। यह CRTs, LCDs से अलग है, लेकिन OLED प्रदर्शन के समान है, जिसमें माँग पर प्रकाश की आपूर्ति होती है, जो नवीन एवं अधिक प्रभावी प्रदर्शनों की उत्पत्ति करता है। क्वाण्टम डॉट्स स्वयं में दोनों कार्बनिक प्रकाश उत्सर्जक और अकार्बनिक प्रकाश उत्सर्जक के बेहतरीन पहलुओं को शामिल करते हैं। क्वाण्टम डॉट्स फ्लैट पैनल टीवी स्क्रीन, डिजिटल कैमरा, मोबाइल फोन, व्यक्तिगत गेमिंग उपकरण और PDA में उपयोग किए जाते हैं।

(vii) क्लोज्ड-सर्किट टेलिविजिन(Closed Circuit Television)

व्यापक स्तर पर आयोजित विशाल जनसभाओं एवं धार्मिक आयोजनों में वक्ता/कथावाचक इतनी दूरी पर बैठा होता है कि उसका चेहरा दिखाई नहीं पड़ता। अत: वक्ता/कथावाचक के निकट से दर्शनों हेतु पण्डाल में कई टीवी रिसीवर्स स्थापित कर दिए जाते हैं और उन्हें शील्डेड केबिल के द्वारा टीवी कैमरे से जोड़ दिया जाता है। टीवी कैमरे का संचालन एक ऑपरेटर करता है। यह पूरी प्रणाली क्लोज्ड सर्किट टीवी कहलाती है। उपरोक्त के अतिरिक्त, बड़े-बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों, बैंकों, कार्यालयों, शोरूम्स, संवेदनशील स्थलों एवं भवनों में हो रही गतिविधियों पर नजर रखने के लिए भी CCTV प्रणाली प्रयुक्त की जाती है। इस प्रणाली में भवन में विभिन्न स्थानों पर टीवी कैमरे स्थापित किए जाते हैं।

प्रत्येक टीवी कैमरे का सम्बन्ध एक टीवी रिसीवर से कर दिया गया है अथवा सभी टीवी कैमरों को एक नियन्त्रक स्विच के माध्यम से एक ही टीवी रिसीवर से भी कनेक्ट (सम्बद्ध) किया जा सकता है। आवश्यकता होने पर इन गतिविधियों की रिकॉर्डिंग भी की जा सकती है।

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