मुंबई, चेन्नई, कोलकाता और नई दिल्ली में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की चार मुख्य शाखाओं में 10-10 दिनों के लिए 1 मार्च 2018 से चुनावी बॉन्ड की पहली बिक्री शुरू होगी। इन बांडों में 15 दिन का जीवन होगा, और भारत का नागरिक या देश में स्थापित या स्थापित एक इकाई उन्हें खरीद सकती है।
चुनाव बांड
राजनीतिक वित्तपोषण में पारदर्शिता बढ़ाने के उद्देश्य से केंद्रीय बजट 2017 में चुनावी बंध योजना की घोषणा की गई थी। यह चुनावी वित्त पोषण के लिए ऐसे अनूठे बंधन रखने के लिए दुनिया में भारत का पहला देश बना देता है। ये बांड प्रोसिझरी नोट और ब्याज-मुक्त बैंकिंग उपकरण की प्रकृति में वाहक साधन हैं। इसका उद्देश्य राजनीतिक दलों के लिए किए गए बड़े पैमाने पर गुमनाम नकद दान की मौजूदा प्रणाली को दूर करना है जिससे अर्थव्यवस्था में काले धन पैदा हो सकता है।
चुनावी बांड से सम्बंधित प्रमुख तथ्य
- चुनावी बांड की न्यूनतम कीमत Rs.1000 और अधिकतम एक करोड़ रुपये तक होगी।
- इलेक्टोरल बांड 1,000 रु., 10,000 रु., 1 lakh रु, 10 lakh रु. और 1 crore रु. denomination के होंगे।
- हर महीने 10 दिन बांड की बिक्री होगी।
- परन्तु जिस वर्ष लोक सभा चुनाव होंगे उस वर्ष भारत सरकार द्वारा बांड खरीदने के लिए 30 दिन (extra) और दिए जायेंगे।
- बांड जारी होने के 15 दिनों के भीतर उसका इस्तेमाल चंदा देने के लिए करना होगा।
- चुनाव आयोग में registered party से पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% वोट मिले हों, उसे ही बांड दिया जा सकेगा।
- Electoral Bond राजनैतिक दल के रजिस्टर्ड खाते में ही जमा होंगे और हर राजनैतिक दल को अपने सालाने प्रतिवेदन में यह बताना होगा कि उसे कितने बांड मिले।
- चुनावी बांड देने वाले की पहचान गुप्त रखी जाएगी।
- चुनावी बांड पर कोई भी ब्याज नहीं मिलेगा।
Electoral Bond के फायदे
- अक्सर ब्लैक मनी वाले पार्टी को चंदा दिया करते थे. अब यह संभव नहीं होगा क्योंकि अब कैश में transanction न होकर बांड ख़रीदे जायेंगे।
- पार्टी को बांड देने वालों की identity बैंक के पास होगी।
- अक्सर बोगस पार्टियाँ पैसों का जुगाड़ करके चुनाव लड़ती हैं. इस पर अब रोक लग सकेगी क्योंकि उन्हें पार्टी फण्ड के रूप में बांड तभी दिए जा सकेंगे जब तक उनको पिछले चुनाव में कम-से-कम 1% vote मिले हों।
पृष्ठभूमि
वर्ष के माध्यम से राज्यों की संख्या में चुनाव के पहले चुनाव बांड की बिक्री सामने आती है। कर्नाटक में अप्रैल-मई में होने वाले चुनावों की संभावना है, इसके बाद मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम में चुनाव होंगे।सरकार का मानना है कि चुनावी बांड से राजनीतिक चंदे की प्रक्रिया काफी हद तक पारदर्शी हो जाएगी। चुनावी बांड के सिक्योरिटी फीचर बिल्कुल करेंसी नोट की तरह होंगे। इसकी छपाई शुरू हो गई है। राजग सरकार ने 2001 में एक अहम सुधार करते हुए चेक से राजनीतिक चंदा देने वालों को टैक्स में छूट देने की पहल की थी। कुछ राजनीतिक दलों को चेक से चंदा मिलना शुरू हुआ लेकिन आज भी अज्ञात स्रोत से चंदा अधिक आ रहा है। इस व्यवस्था को बदलने के लिए ही सरकार ने चुनावी बांड की वैकल्पिक व्यवस्था बनाई है।
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