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Computer Hardware क्या है और कितने प्रकार के हैं?

Computer Hardware क्या है कम्प्यूटर का वह भाग है, जिसे स्पर्श किया जा सकता है और आँखो से देखा जा सकता है, हार्डवेयर (Hardware) कहलाता है। कार्य-प्रणाली के आधार पर प्रमुख हार्डवेयर निम्नलिखित हैं

1. सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट                                                    2. इनपुट डिवाइस

3. आउटपुट डिवाइस                                                        4. मैमोरी यूनिट

1. सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट

कम्प्यूटर को सम्प्रेषित किए गए निर्देशों को सुचारु रूप से क्रियान्वित करने का कार्य प्रोसेसिंग यूनिट का होता है, जिसका मुख्य भाग सेण्ट्रल प्रोसेसिंग यूनिट (Central Processing Unit or CPU) होता है। CPU को ‘कम्प्यूटर का मस्तिष्क’ (Brain of Computer) भी कहा जाता है। सी पी यू का कार्य यूजर से इनपुट लेना तथा उसे प्रोसेस करके आउटपुट प्रदान करना होता है।

माइक्रोप्रोसेसर

माइक्रो कम्प्यूटर्स के लिए जिस प्रोसेसर का उपयोग किया जाता है, उसे माइक्रोप्रोसेसर (Microprocessor) कहा जाता है। माइक्रोप्रोसेसर एक सेमीकण्डक्टर इण्टीग्रेटेड सर्किट पर बनायी गई है जो CPU के सभी कार्य करती है। माइक्रोप्रोसेसर प्रोग्राम करने योग्य (Programmable) डिजिटल इलेक्ट्रॉनिक वस्तु है। यह केवल मशीनी भाषा ही समझती है।

इण्टेल 4004 (Intel 4004) पहला ऐसा माइक्रोप्रोसेसर था, जिसमें CPU के सभी अवयव एक चिप पर लिए गए थे। कुछ महत्त्वपूर्ण माइक्रोप्रोसेसर्स के नाम हैं- इण्टेल (Intel), ड्युअल कोर (Dual Core), पेण्टियम IV (Pentium IV) आदि।

CPU मुख्यत: निम्नलिखित तीन भागो में पृथक होता है 

(i) अर्थमैटिक लॉजिक यूनिट (Arithmetic Logic Unit-ALU) इसका कार्य सभी प्रकार के अंकीय (Arithmetic) व तार्किक (Logical) निर्देशों को क्रियान्वित करना होता है तथा यह किसी आदेश का पालन सुनिश्चित करने के लिए कम्प्यूटर के दूसरे सभी भागों को उचित निर्देश जारी करता है।

(ii) रजिस्टर (Register) यह एक ऐसा उपकरण या साधन है जिसमें डेटा स्टोर किया जाता है। रजिस्टर्स बहुत तेज गति वाली अस्थायी स्टोरेज युक्ति है। ये सीपीयू को किसी डेटा का उपयोग करने के लिए सबसे तीव्र मार्ग देते हैं।

(iii) कण्ट्रोल यूनिट (Control Unit-CU) इसका कार्य निर्देशों का सही उपयोग करना एवं उन्हें नियन्त्रित करना होता है।

2. इनपुट डिवाइस

इस यूनिट या डिवाइस का प्रयोग आँकड़ों, तथ्यों एवं निर्देशों आदि को कम्प्यूटर के अन्दर प्रविष्ट (Enter) करने के लिए किया जाता है। इनपुट डिवाइस (Input device) द्वारा ही इनपुट इकाइयाँ कम्प्यूटर में प्रवेश करती हैं। यह डेटा और निर्देशों को सीपीयू के समझने योग्य विद्युत संकेतों में बदलकर सीपीयू में प्रेषित करती है। मुख्य रूप से प्रयुक्त होने वाली इनपुट डिवाइस निम्नलिखित हैं

कीबोर्ड (Keyboard)

यह सबसे प्रमुख इनपुट डिवाइस है, जो टाइपराइटर के समान होती है, जिसके द्वारा इलेक्ट्रिक सिग्नल के माध्यम से अक्षर, संख्याएँ एवं निर्देश कम्प्यूटर की प्रोसेसिंग डिवाइस को सम्प्रेषित कर सकते हैं। कीबोर्ड का प्रयोग कम्प्यूटर को अक्षर और अंकीय रूप में डेटा और सूचना देने के लिए करते हैं। यह दो आकार का होता है जैसे-84 कीज़ (Keys) या 101/102 कीज़, लेकिन अब 104 कीज़ या 108 कीज़ वाला कीबोर्ड भी उपलब्ध है।

माउस (Mouse)

यह इनपुट डिवाइस प्वॉइण्टिंग पद्धति की निर्देशांक प्रणाली पर आधारित है, जो ग्राफिकल यूजर इण्टरफेस (GUI) प्रणाली में निर्देशों को चित्र के माध्यम से सम्प्रेषित करने के लिए प्रयोग होती है। इसका प्रयोग कर्सर या प्वॉइण्टर को एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए किया जाता है।

जॉयस्टिक (Joystick)

जॉयस्टिक (Joystick) यह माउस के समान कार्य करने वाली और कम्प्यूटर गेम्स के लिए उपयुक्त इनपुट डिवाइस है, जो सभी दिशाओं में मूव (Move) करती है और कर्सर के मूवमेण्ट को कण्ट्रोल करतीहै।

ट्रैकबॉल (Trackball)

यह लैपटॉप में माउस के स्थान पर प्रयुक्त होने वाली इकाई है, जिसका मुख्यतः प्रयोग CAD/CAM वर्कस्टेशनों में किया जाता है।

स्कैनर (Scanner)

इसका प्रयोग पेपर पर लिखे हुए डेटा या छपे हुए चित्र को डिजिटल रूप में परिवर्तित करने के लिए करते हैं। यह एक ऑप्टिकल इनपुट डिवाइस है, जो इमेज को इलेक्ट्रॉनिक रूप में बदलने के लिए प्रकाश को इनपुट की तरह प्रयोग करता है और फिर चित्र को डिजिटल रूप में बदलने के बाद कम्प्यूटर में भेजता है।

बार कोड रीडर (Bar Code Reader)

यह एक इनपुट डिवाइस होती है, जिसका प्रयोग किसी उत्पाद (Product) पर छपे हुए कोड (यूनिवर्सल प्रोडक्ट कोड) को पढ़ने के लिए किया जाता है।

एम आई सी आर (Magnetic Ink Character Recognition, MICR)

यह डिवाइस बैंक चेक्स एवं निर्मित उत्पादों पर अंकित अक्षरों को पढ़ने हेतु प्रयुक्त की जाती है।

ओ एम आर (Optical Mark Reader, OMR)

इस डिवाइस का प्रयोग वस्तुनिष्ठ प्रश्नों पर आधारित परीक्षाओं की उत्तर पुस्तिका के मूल्यांकन की जाँच हेतु किया जाता है।

ओ सी आर (Optical Character Recognition, OCR)

यह एक ऑप्टिकल स्कैनर है, जिसका प्रयोग चित्रों को पढ़ने एवं उसे 0 एवं 1 के रूप में परिवर्तित कर कम्प्यूटर की मैमोरी में स्टोर करने में किया जाता है।

ग्राफिक टैबलेट (Graphic Tablet)

यह एक ऐसी इनपुट डिवाइस है, जिसके पास एक विशेष कमाण्ड होती है जो ड्राइंग, फोटो आदि को डिजिटल सिग्नल्स में परिवर्तित करती है। यह कलाकार (Artist) को, हाथ से इमेज और ग्राफिक बनाने की अनुमति प्रदान करती है।

एम आई डी आई (Musical Instrument Digital Interface, MIDI)

यह एक तकनीकी मानक (Technical Standard) है जो एक प्रोटोकॉल, डिजिटल इण्टरफेस और कनेक्टर्स को वर्णित करता है। यह विभिन्न प्रकार के इलेक्ट्रॉनिक म्यूजिकल इंस्ट्रूमेण्ट, कम्प्यूटर्स और अन्य सम्बन्धित उपकरणों को कनेक्ट करने और एक दूसरे से संवाद करने की अनुमति देता है।

3. आउटपुट डिवाइस

इनपुट डिवाइस से प्रेषित तथ्य एवं निर्देश प्रोसेसिंग डिवाइस से क्रियान्वित होने के पश्चात् जिस भाग के पास जाते हैं, उसे आउटपुट डिवाइस (Output device) कहते हैं।

आउटपुट डिवाइसों का प्रयोग कम्प्यूटर से प्राप्त परिणाम को देखने के लिए किया जाता है। कम्प्यूटर द्वारा उत्पन्न आउटपुट मुख्यतः दो भागों में विभाजित होते हैं—सॉफ्ट कॉपी एवं हार्ड कॉपी। मुख्य रूप से प्रयुक्त होने वाली आउटपुट डिवाइस निम्नलिखित हैं

विजुअल डिस्प्ले यूनिट (Visual Display Unit, VDU)

है। इसे मॉनीटर (Monitor) के नाम से भी जाना जाता यह कम्प्यूटर से प्राप्त परिणाम को सॉफ्ट कॉपी के रूप में दिखाता है। यह दो प्रकार के होते हैं-मोनोक्रोम डिस्प्ले मॉनीटर और कलर डिस्प्ले मॉनीटर।

कुछ मुख्य मॉनीटर निम्न प्रकार हैं

एल सी डी (Liquid Crystal Display, LCD)

LCD अधिक प्रयोग होने वाली आउटपुट डिवाइस है। इसमें दो प्लेट होती हैं। इन प्लेटों के बीच में एक विशेष प्रकार का द्रव भरा होता है। जब प्लेट के पीछे से प्रकाश निकलता है तो प्लेट्स के अन्दर का द्रव एलाइन होकर चमकता है, जिससे चित्र दिखाई देने लगता है।

एल ई डी (Liquid/Light Emitted Diode, LED)

इस आउटपुट डिवाइस के अन्दर छोटे-छोटे LEDs लगे होते हैं। जब विद्युत धारा इन LEDs से गुजरती है, तो ये LEDs चमकने लगते है और चित्र LED की स्क्रीन पर दिखाई देने लगता है।

टी एफ टी (Thin Film Transistor, TFT)

TFT और एक्टिव मैट्रिक्स LCD एक प्रकार की आउटपुट डिवाइस है। TFT में एक पिक्सल को कण्ट्रोल करने के लिए एक से चार ट्रांजिस्टर्स लगे होते हैं। ये ट्रांजिस्टर पैसिव मैट्रिक्स की अपेक्षा स्क्रीन को काफी तेज, चमकीला और ज्यादा रंगीन बनाते हैं। इस आउटपुट डिवाइस की मुख्य बात यह है कि हम इसमें बने चित्र को विभिन्न कोणों (Angles) से भी देख सकते हैं। TFT अन्य मॉनीटर्स की अपेक्षा महँगा, लेकिन काफी अच्छी गुणवत्ता का चित्र प्रदर्शित (Display) करने वाला आउटपुट डिवाइस है।

3D मॉनीटर (3D Monitor)

यह एक आउटपुट डिवाइस है, जिसका प्रयोग आउटपुट को तीन डायमेन्शन (Three Dimensions, 3D) में देखने के लिए करते हैं। यह दो डायमेन्शन (Two Dimensions, 2D) मॉनीटर की अपेक्षा ज्यादा स्पष्ट और साफ चित्र दिखाता है। यदि चित्र को 3D मॉनीटर में देखते हैं, तो ऐसा प्रतीत होता है जैसे कि यह चित्र एक बिल्कुल वास्तविक चित्र है।

प्रिण्टर (Printer)

इसका उपयोग कई प्रकार की कार्यप्रणाली पर आधारित आँकड़ों, संख्याओं, चित्रों, ग्राफों या अन्य प्रकार की सूचनाओं को कागज पर अंकित करने के लिए किया जाता है। मुख्यतः प्रिण्टर को दो भागों में बाँटा गया है, जो निम्न हैं—

इम्पैक्ट प्रिण्टर (Impact Printer)

यह प्रिण्टर टाइपराइटर की तरह कार्य करता है। इसमें अक्षर छापने के लिए छोटे-छोटे पिन या हैमर्स होते हैं। इन पिनों पर अक्षर बने होते हैं। ये पिन स्याही से लगे हुए रिबन और उसके बाद पेपर पर प्रहार करते हैं, जिससे अक्षर पेपर पर छप जाते हैं। इम्पैक्ट प्रिण्टर एक बार में एक कैरेक्टर या एक लाइन प्रिण्ट कर सकता है, इस प्रकार के प्रिण्टर ज्यादा अच्छी गुणवत्ता की प्रिण्टिंग नहीं करते हैं। इम्पैक्ट प्रिण्टर निम्नलिखित पाँच प्रकार के होते हैं

(a) डॉट मैट्रिक्स प्रिण्टर (Dot Matrix Printer) (इसकी गति 50-550 कैरेक्टर्स कि प्रति सेकण्ड होती है)।

(b) डेजी व्हील प्रिण्टर (Daisy Wheel Printer) (Fmekeâer ieefle 10-90 प्रा कैरेक्टर्स प्रति सेकण्ड होती है)।

(c) लाइन प्रिण्टर (Line Printer) (इसकी गति 1200 लाइन्स प्रति सेकण्ड होती है)।

(d) ड्रम प्रिण्टर (Drum Printer) (इसकी गति 300-2000 कैरेक्टर्स प्रति सेकण्ड होती है)।

(e) चेन प्रिण्टर (Chain Printer) (इसकी गति – 400-2500 कैरेक्टर्स प्रति सेकण्ड होती है)।

नॉन-इम्पैक्ट प्रिण्टर (Non-impact Printer)

ये प्रिण्टर कागज पर प्रहार नहीं करते, बल्कि अक्षर या चित्र प्रिण्ट करने के लिए स्याही की फुहार कागज पर छोड़ते हैं। नॉन-इम्पैक्ट प्रिण्टर प्रिण्टिग में इलेक्ट्रोस्टैटिक केमिकल और इंकजेट तकनीकी का प्रयोग करते हैं। इसके द्वारा उच्च क्वालिटी के ग्राफिक्स और अच्छी किस्म के अक्षरों को छापा जाता है। नॉन-इम्पैक्ट प्रिण्टर निम्न पाँच प्रकार के होते हैं

(a) इंकजेट प्रिण्टर (Ink-jet Printer) (इसकी गति 6 पेज प्रति मिनट होती है)।

(b) लेजर प्रिण्टर (Laser Printer) (इसकी गति 2000 लाइन्स प्रति इंच होती है)।

(c) थर्मल प्रिण्टर (Thermal Printer) (इसकी गति 8 इंच प्रति सेकण्ड होती है)।

(d) इलेक्ट्रोस्टैटिक प्रिण्टर (Electrostatic Printer) (इसकी गति 5000 लाइन्स प्रति मिनट होती है)।

(e) इलेक्ट्रोमैग्नेटिक प्रिण्टर (Electromagnetic Printer) (इसकी गति 250 पेज प्रति मिनट होती है)

प्लॉटर (Plotter)

इसका प्रयोग मानचित्रों या ग्राफों से सम्बन्धित आरेखन कार्य में किया जाता है।

प्रोजेक्टर (Projector)

इसका प्रयोग कम्प्यूटर से प्राप्त सूचना या डेटा को एक बड़ी स्क्रीन पर देखने के लिए करते हैं।

हेड फोन्स (Head Phones)

इस प्रकार के आउटपुट डिवाइस में लाउड स्पीकर का एक जोड़ा होता है, जोकि सिर पर बेल्ट की तरह पहना जा सकता है, तथा इसकी आवाज सिर्फ इसे पहनने वाला व्यक्ति ही सुन सकता है।

4. मैमोरी यूनिट

कम्प्यूटर की मैमोरी (Memory) किसी कम्प्यूटर के उन अवयवों, साधनों तथा रिकॉर्ड करने वाले माध्यमों को कहा जाता है, जिनमें प्रोसेसिंग में उपयोग किए जाने वाले अंकीय डेटा को किसी भी समय तक रखा जाता है,

ये मुख्यत: दो प्रकार की ये होती हैं

प्राइमरी मैमोरी (Primary Memory)

इस मैमोरी को अक्सर मुख्य मैमोरी (Main Memory) या आन्तरिक मैमोरी (Internal Memory) भी कहा जाता है, जो कम्प्यूटर के अन्दर रहती है। इसके डेटा और निर्देश का CPU के द्वारा तीव्र तथा प्रत्यक्ष उपयोग होता है। प्राइमरी मैमोरी को निम्न प्रकार में विभाजित किया जाता है।

  • रैम (Random Access Memory, RAM) इसे रैण्डम एक्सेस मैमोरी कहा जाता है। यह कम्प्यूटर की मुख्य मैमोरी होती है। यह वोलेटाइल (Volatile) मैमोरी होती है, जिसमें संगृहीत डेटा विद्युत सप्लाई के ऑफ होने के बाद समाप्त हो जाता है।

प्रोग्राम रन करते समय उससे सम्बन्धित डेटा या निर्देशों को रैम में स्टोर किया जाता है, ताकि CPU अपना कार्य तीव्र गति से कर सके। रैम (RAM) के मुख्य भाग निम्न प्रकार हैं-

(a) स्टैटिक रैम (Static RAM) यह कम्प्यूटर की मैमोरी है, जिसमें सूचना को स्टोर करने के लिए बिजली की आवश्यकता होती है। SRAM में डेटा को फ्लिप फ्लॉप की स्टेट के रूप में संगृहीत किया जाता है। इसे समय-समय पर रिफ्रेश (Refresh) करने की जरूरत नहीं होती।

(b) डायनेमिक रैम (Dynamic RAM) चिप के स्टोरेज सेल परिपथों में एक ट्रांजिस्टर लगा होता है, जो ठीक उसी प्रकार कार्य करता है, जिस प्रकार कोई ऑन/ऑफ स्विच कार्य करता है और इसमें एक कैपेसिटर (Capacitor) भी लगा होता है। जो एक विद्युत चार्ज को स्टोर कर सकता है। इसे समय-समय पर रिफ्रेश करने की आवश्यकता होती है।

  • रोम (Read Only Memory, ROM) इसे कम्प्यूटर के रीड ओनली मैमोरी कहा जाता है, जो कम्प्यूटर के निर्माण के समय ही स्थापित कर दी जाती है। यह एक ऐसी नॉन-वोलेटाइल (Non-volatile) मैमोरी है, जो कम्प्यूटर के बन्द हो जाने पर भी डेटा को सुरक्षित रखती है। रोम को निम्न तीन प्रकार से विभाजित किया जाता है

(a) पी रोम (Programmable Read Only Memory, PROM) यह एक विशेष प्रकार की मैमोरी है, जिसमें प्रोग्रामिंग की सहायता से डेटा को स्टोर किया जाता है। एक बार प्रोग्रामिंग करने के बाद यह सामान्य रोम मैमोरी की तरह कार्य करती है।

(b) ई पी रोम ( Erasable Programmable Read Only Memory, EPROM) इस रोम में पराबैंगनी किरणों (Ultraviolet rays) की सहायता से पुराने प्रोग्राम या डेटा को हटाकर नया प्रोग्राम या डेटा डाला जा सकता है। इसके लिए ई पी रोम को सर्किट से निकालना पड़ता है। इसे अल्ट्रावायलेट ई पी रोम (Ultraviolet EPROM) भी कहते हैं।

(c) ईईपी रोम (Electrically Erasable Programmable Read Only Memory, EEPROM) इस प्रकार के रोम को सर्किट से निकाले बिना उच्च विद्युत विभव की सहायता से पुराने प्रोग्राम या डेटा को हटाकर नया प्रोग्राम या डेटा डाला जाता है। इसका उपयोग मुख्यत: अनुसन्धान में किया जाता है। वर्तमान में, द्वितीयक मैमोरी के रूप में ई ई पी रोम का उपयोग चल रहा है।

कैश मैमोरी (Cache Memory) यह अत्यधिक तेज स्टैटिक रैम (SRAM) चिपों का उपयोग करती है और प्रोसेसर को किसी विशेष मैमोरी का उपयोग अत्यन्त तेजी से करने की सुविधा प्रदान करती है। कैश मैमोरी प्रोसेसर और मानक डी रैम (DRAM) मॉड्यूलों के बीच एक बफर के रूप में कार्य करती है। यह प्रोसेसिंग की गति को भी बढ़ाने में मदद करती है।

फ्लैश मैमोरी (Flash Memory) यह एक प्रकार की सेमीकण्डक्टर आधारित नॉन-वॉलेटाइल मेमौरी है, जो विद्युत सप्लाई बन्द होने पर भी चिप में भरी सूचनाएँ संरक्षित रखती है तथा रीराइटेबल (पुन: लिखने योग्य) मैमोरी है, जिसे डिजिटल कैमरों, मोबाइल फोन, प्रिण्टर इत्यादि में उपयोग किया जाता है।

सेकण्डरी मैमोरी (Secondary Memory)

इस प्रकार की मैमोरी सी पी यू से बाहर होती है, इसलिए इसे बाह्य (External) या आकॅजीलिरी मैमोरी (Auxiliary Memory) भी कहा जाता है। यह एक नॉन-वोलेटाइल (Non-volatile) मैमोरी है, जिसमें संगृहीत डेटा पीसी के ऑफ होने के बाद भी समाप्त नहीं होता। जिसका उपयोग डेटा बैकअप के लिए किया जाता है।

  • फ्लॉपी डिस्क (Floppy Disk) इसका प्रयोग कम मात्रा में सूचनाओं को संगृहीत कर एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने के लिए किया जाता है। यह मैग्नेटिक ऑक्साइड से बनी होती है, जिस पर प्लास्टिक चढ़ी होती है। फ्लॉपी डिस्क ठोस चुम्बकीय प्रणाली पर आधारित होती है तथा इसकी क्षमता 360 KB से 1.44 MB तक होती है।
  • हाई डिस्क (Hard Disk) इसे डिस्क, हार्ड ड्राइव एवं हार्ड डिस्क ड्राइव भी कहा जाता है। यह एक नॉन-वॉलेटाइल भण्डारण युक्ति है, जोकि विद्युत चुम्बकीय सतह वाली गोलाकार डिस्क पर डिजिटल रूप से इनकोडेड (Encoded) आँकड़ों का संग्रह करती है। सामान्यतः इसकी क्षमता 20 GB से 8 TB तक होती है। Seagate, हार्ड डिस्क ड्राइव का दुनिया में सबसे बड़ा निर्माता है, जिसने 2017 को 12 TB (टेराबाइट) के साथ उच्चतम क्षमता उद्यम हार्ड ड्राइव की घोषणा की थी।
  • सीडी (Compact Disc, CD) सीडी में लेजर तकनीकों का प्रयोग करते हुए सूचनाओं एवं आँकड़ों का संग्रह किया जाता है। इसे फिलिप्स और सोनी द्वारा विकसित किया गया था। इसकी क्षमता 650 MB से 850 MB तक होती है। प्लास्टिक सीडी रोम के भीतर प्रकाश को परावर्तित करने वाली एक पतली एल्युमीनियम की परत होती है। सीडी को मुख्यत: तीन भागों में विभाजित किया गया है

(a) सीडी-रोम (सीडी-रीड ओनली मैमोरी)

(b) सीडी-आर (सीडी-रिकॉर्डेबल)

(c) सीडी-आर/डब्ल्यू (सीडी-रीराईटेबल)

  • DVD (Digital Versatile Disc, DVD) इसे डिजिटल वर्सेटाइल डिस्क या डिजिटल वीडियो डिस्क के रूप में भी जाना जाता है। यह एक ऑप्टिकल डिस्क स्टोरेज वीडियो फॉर्मेट है और इसे वर्ष 1995 में सोनी, फिलिप्स, पैनासोनिक और सैमसंग द्वारा विकसित किया गया है। यह प्रकाशीय संग्रह तकनीक पर आधारित भण्डारण युक्ति है। इसकी भण्डारण क्षमता 4.5 GB से 20 GB तक होती है। डीवीडी मुख्यत: तीन प्रकार में उपलब्ध होती हैं

(a) डीवीडी-रोम (डीवीडी-रीड ओनली मैमोरी)

(b) डीवीडी-आर (डीवीडी-रिकॉर्डेबल)

(c) डीवीडी-आर/डब्ल्यू (डीवीडी-रीराईटेबल)

  • ब्लू-रे डिस्क (Blu-ray Disc, BD) ब्लू-रे डिस्क विश्व के अग्रणी इलेक्ट्रॉनिक्स निर्माताओं (एप्पल, डेल, एच पी, जे वी सी, सोनी, हिताची इत्यादि) के द्वारा विकसित, अगली पीढ़ी की एक ऑप्टिकल डिस्क है। इसका विकास हाई डेफिनिशन (High Definition, HD) वीडियो की रिकॉर्डिंग, री-राइटिंग व प्लेबैक तथा बड़ी मात्रा में आँकड़ों का संग्रह करने के लिए किया गया। इसमें नीली-बैंगनी लेजर किरणों का प्रयोग किया जाता है। इसकी भण्डारण क्षमता सिंगल लेजर में 25 GB और ड्यूल लेजर में 50 GB होती है। ब्लू-रे डिस्क विभिन्न प्रारूपों में उपलब्ध हैं

(a) बीडी-रोम (बीडी-रीड ओनली मैमोरी)

(b) बीडी-आर (बीडी-रिकॉर्डेबल)

(c) बीडी-आर/डब्ल्यू (बीडी-रीराईटेबल)

  • माइक्रो एसडी कार्ड (Micro SD Card) यह एक ऐसा मैमोरी कार्ड होता है, जिसको मोबाइल फोन, डिजिटल कैमरा, जी पी एस नेवीगेशन डिवाइस और टैबलेट कम्प्यूटर में भण्डारण के लिए उपयोग किया जाता है। इसमें सूचना डिजिटल सिग्नल के माध्यम से भण्डारित हो जाती है। आकार में बहुत छोटा तथा अधिक भण्डारण का होना इसकी विशेषता है। मूल रूप से माइक्रो एसडी कार्ड का विकास सैनडिस्क (San Disk) द्वारा किया गया था।
  • पेन ड्राइव (Pen Drive) यह एक सॉलिड स्टेट स्टोरेज उपकरण है, जो विभिन्न जानकारियों एवं सूचनाओं का संग्रह करता है। इसकी मैमोरी क्षमता सामान्यत: 4 GB या इससे अधिक होती है। इसकी मदद से कम्प्यूटर की हार्ड ड्राइव से ऑडियो, वीडियो और डेटा फाइल्स को बहुत आसानी एवं तेजी से दूसरे कम्प्यूटर में डाल सकते हैं। इसे यूएसबी फ्लैश ड्राइव (USB Flash Drive) के नाम से भी जाना जाता है।

कम्प्यूटर मैमोरी की मापन इकाइयाँ

कुछ मुख्य मापन की प्राथमिक इकाइयाँ (Basic Units of Measurement) इस प्रकार हैं

  • 1 बिट (bit) = 0, 1
  • 4 बिट (bit) = 1 निब्‍बल
  • 8‍ बिट = 1 बाइट्स (Byte)
  • 1000 बाइट्स (Byte) = 1 किलोबाइट (KB)
  • 1024 किलोबाइट (KB) = 1 मेगाबाइट (MB)
  • 1024 मेगाबाइट (MB) = 1 गीगाबाइट (GB)
  • 1024 गीगाबाइट (GB) = 1 टेराबाइट (TB)
  • 1024 टेराबाइट (TB) = 1 पेंटाइट (PB)
  • 1024 पेडाबाइट (PB) = 1  एक्साबाइट (EB)
  • 1024 एक्साबाइट (EB) = 1 ज़ेटबाइट (ZB)
  • 1024 ज़ेटाबाइट (ZB) = 1 योटाबाइट (YB)
  • 1024 योटाबाइट (YB) = 1 ब्रोंटोबाइट (1 Bronto Byte)
  • 1024 ब्रोंटोबाइट = 1 जीओपबाइट (1 GeopByte)

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