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डाटा निरूपण (Data Representation) क्‍या है ?

डाटा निरूपण (Data Representation) क्‍या है ? एक कम्प्यूटर बाइनरी लॉजिकल परिपथ से निर्मित होता है, इसमें डेटा को इलेक्ट्रॉनिक संकेतों की उपस्थिति या अनुपस्थिति के रूप में व्यक्त किया जाता है।

डेटा प्रोसेसिंग

संगणक या कम्प्यूटर का मुख्य कार्य आँकड़ों को संगणित करना है। आँकड़ों को संचय कर उन्हें उपयोगी सूचनाओं में बदलने की प्रक्रिया को डेटा प्रोसेसिंग (Data Processing) कहा जाता है। मानव द्वारा एकत्रित सूचनाओं को कम्प्यूटर में आँकड़ों के रूप में प्रविष्ट किया जाता है तथा कम्प्यूटर इन आँकड़ों को संयोजित कर उसका प्रदर्शन इस प्रकार करता है कि मानव उन आँकड़ों का उपयोग आसानी से कर सके।

संख्या पद्धति

कम्प्यूटर की सम्पूर्ण कार्य प्रणाली संख्याओं पर आधारित होती है। कम्प्यूटर को डेटा या निर्देश अलग-अलग संख्या पद्धति (Number System) में दिये जाते हैं और कम्प्यूटर अलग-अलग संख्या पद्धति में डेटा को निरूपित करता है। कम्प्यूटर सिस्टम द्वारा प्रयोग की जाने वाली संख्या पद्धतियाँ मुख्यत: चार प्रकार की होती हैं, जो निम्न हैं

  1. बाइनरी या द्वि-आधारी संख्या प्रणाली
  2. दशमलव या दशमिक संख्या प्रणाली
  3. ऑक्टल या अष्ट-आधारी संख्या प्रणाली
  4. हेक्साडेसीमल या षट्दशमिक

(i) बाइनरी या द्वि-आधारी संख्या प्रणाली (Binary Number System)  

इस संख्या प्रणाली में केवल दो अंक होते हैं-0 (शून्य) और 1 (एक)। जिस कारण इसका आधार 2 होता है। इसलिए इसे द्वि-आधारी या बाइनरी संख्या प्रणाली कहा जाता है। इस प्रणाली में कम्प्यूटर की मुख्य पद्धति बनती है, वह स्विच की तरह कार्य करती है। स्विच की केवल दो स्थितियाँ होती हैं-ऑन (ON) तथा ऑफ (OFF)।

(ii) दशमलव या दशमिक संख्या प्रणाली (Decimal Number System) 

दैनिक जीवन में प्रयुक्त होने वाली संख्या पद्धति को दशमलव या दशमिक संख्या प्रणाली कहा जाता है। इस संख्या प्रणाली में 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8 और 9 दस संकेत मान (Symbol Value) होते हैं, जिस कारण इस संख्या प्रणाली का आधार 10 होता है। दशमलव प्रणाली का स्थानीय मान (Positional Value) संख्या के दाईं से बाईं दिशा में आधार (Base) 10 की घात की वृद्धि के क्रम के रूप में होता है।

(iii) ऑक्टल या अष्ट-आधारी संख्या प्रणाली (Octal Number System)  

ऑक्टल संख्या प्रणाली में 0, 1, 2, 3, 4, 5, 6 और 7 आठ अंकों का प्रयोग किया जाता है, जिस कारण इसका आधार 8 होता है। इन अंकों के मुख्य मान दशमलव संख्या प्रणाली की तरह ही होते हैं। ऑक्टल संख्या प्रणाली इसलिए सुविधाजनक है, क्योंकि इसमें किसी भी बाइनरी संख्या को छोटे रूप में लिख सकते है।

(iv) हेक्साडेसीमल या षट्दशमिक (Hexadecimal Number System)

हेक्सा से तात्पर्य छ: तथा डेसीमल से तात्पर्य दस से होता है। अत: हेक्साडेसीमल संख्या प्रणाली में कुल सोलह (0, 1, 2, 3, 4, 5, 6, 7, 8, 9, A, B, C, D, E, F) अंक होते हैं। इसके मुख्य मान क्रमशः 0 से 15 तक होते हैं, परन्तु A = 10,B = 11.,F 10,B = 11,.,F = 15 अक्षर लिखते हैं। इस प्रकार इस प्रणाली में दस अंक तथा छ• वर्णों का प्रयोग किया जाता है। इसका आधार 16 होता है।

कैरेक्टर इनकोडिंग

कम्प्यूटर कोड्स (Computer Codes) या कैरेक्टर इनकोडिंग (Character Encoding) विभिन्न प्रकार होते हैं, जिनमें से कुछ निम्नलिखित हैं।

(i) ASCII (American Standard Code for Information Interchange)

ASCII मुख्यत: कैरेक्टर्स की कोडिंग की जाती है। इसका प्रयोग किसी प्रोग्राम द्वारा डेटा को स्टोर करने तथा उसका प्रयोग करने के लिए किया जाता है। ASCII कोड दो प्रकार के होते हैं.

  • ASCII-7 यह एक 7-बिट स्टैण्डर्ड कोड है, जिसके कारण कुल 27 = 128 कैरेक्टर को निरूपित किया जा सकता है।
  • ASCII-8 यह एक 8 बिट स्टैण्डर्ड कोड है। इसमें 28 = 256 प्रकार के कैरेक्टर को निरूपित किया जा सकता है।

(ii) EBCDIC (Extended Binary Coded Decimal Interchange Code)

इस प्रणाली का प्रयोग अधिकतर बड़े कम्प्यूटरों (जैसेमेनफ्रेम) में किया जाता है। इसकी विशेषता यह है कि इसमें डेटा को एक भण्डारण माध्यम से दूसरे भण्डारण माध्यम में ट्रांसफर करना आसान होता है।

(iii) BCD (Binary Coded Decimal)

इस प्रणाली से तात्पर्य ऐसे दशमलव अंक से है जिन्हें बाइनरी कोड में बदला गया है। इस प्रणाली में प्रत्येक दशमलव अंक को चार बाइनरी अंकों में व्यक्त किया जाता है। BCD प्रणाली को IBM कॉर्पोरेशन द्वारा विकसित किया गया था।

(iv) यूनिकोड (Unicode)

यह प्रत्येक अक्षर लिए एक विशेष नम्बर प्रदान करता है। यूनिकोड स्टैण्डर्ड को एप्पल, एच पी, आई बी एम, माइक्रोसॉफ्ट, ओरेकल आदि जैसी उद्योग की प्रमुख कम्पनियों ने अपनाया है।

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