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कंप्यूटर नेटवर्क क्या है | Computer Network in Hindi

कंप्यूटर नेटवर्क क्या है जब दो-या-दो-से अधिक कम्प्यूटर किसी माध्यम की सहायता से परस्पर सम्पर्क में रहते हैं, तो इस व्यवस्था को ‘कम्प्यूटर नेटवर्क’ (Computer Network) कहते हैं। नेटवर्क आपस में एक-दूसरे से जुड़े कम्प्यूटरों का समूह होता है, जो एक-दूसरे से संचार स्थापित करने तथा सूचनाओं, संसाधनों का साझा इस्तेमाल करने में सक्षम होते हैं। इन नेटवर्कों का प्रयोग बैंकिंग व्यवस्था, रेलवे आरक्षण प्रणाली, विमान आरक्षण प्रणाली आदि के लिए नेत व्यापक रूप में किया जाता है।

नेटवर्क का वर्गीकरण

नेटवर्कों को उनकी विविध क्षमताओं के आधार पर निम्न प्रकार से विभाजित किया जाता है

(i) लोकल एरिया नेटवर्क

Area Network, LAN) यह नेटवर्किंग एक सीमित क्षेत्र के अन्तर्गत की जाती है। उदाहरण के लिए, किसी कार्यालय, किसी विद्यालय अथवा किसी एक ही इमारत में स्थित किसी उद्योग में हो सकती है। प्रायः लोकल एरिया नेटवर्क में, Co-axial Cable या Twisted pair cable का प्रयोग किया जाता है।

 (ii) मैट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क एक(Metropolitan Area Network, MAN) 

यह नेटवर्क व्यक्तिगत अथवा सार्वजनिक दोनों रूप से किसी मैट्रोपॉलिटन महानगरों की अनेक इमारतों को आपस में जोड़ता है। मैट्रोपॉलिटन एरिया नेटवर्क का आकार एवं कम्प्यूटरों की संख्या LAN से ज्यादा होती है।

(iii) वाइड एरिया नेटवर्क (Wide Area Network, WAN)

यह भी एक सार्वजनिक नेटवर्क है, जो एक विस्तृत क्षेत्र में स्थापित होता है। वाइड एरिया नेटवर्क एक देश को अन्य देश से जोड़ता है। भौगोलिक दृष्टि से दूर-दूर स्थित कम्प्यूटरों की नेटवर्किंग को ‘वाइड एरिया नेटवर्क’ कहते हैं। WAN में दो-या-दो से अधिक MAN को आपस में जोड़ा जाता है। यह लिंक टेलीफोन लाइन के माध्यम से बनाया जाता है।

(iv) पर्सनल एरिया नेटवर्क (Personal Area Network, PAN)

यह एक ऐसा कम्प्यूटर नेटवर्क है, जो कम्प्यूटरों तथा विभिन्न सूचना तकनीकी डिवाइसों के लिए प्रयोग किया जाता है। एक पर्सनल एरिया नेटवर्क की पहुँच आदर्श रूप से 10 मी तक विस्तारित होती है।

(v) वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क (Virtual Private Network, VPN)

वर्चुअल प्राइवेट नेटवर्क एक प्रकार का नेटवर्क है जो किसी) प्राइवेट नेटवर्क जैसे किसी कम्पनी के आन्तरिक नेटवर्क (Internal Network) से जुड़ने के लिए इण्टरनेट का प्रयोग करके बनाया जाता है। यह प्राइवेट नेटवर्क की सुरक्षा एवं प्रबन्धन नीतियों को संस्थापित एवं बनाए रख कर प्राइवेट नेटवर्क के गुणों का अनुकरण करता है। इसके लिए यह एक वर्चुअल प्वॉइण्ट-टू-प्वॉइण्ट कनेक्शन की स्थापना करता है।

 नेटवर्क युक्तियाँ

सिग्नल्स की वास्तविक शक्ति को बढ़ाने के लिए नेटवर्क युक्तियों (Network Devices) का प्रयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त नेटवर्क युक्तियों का प्रयोग दो-या-दो से अधिक कम्प्यूटरों को आपस में जोड़ने के लिए भी किया जाता है। कुछ प्रमुख नेटवर्क युक्तिय निम्न हैं-

(i) रिपीटर (Repeater)

रिपीटर ऐसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण होते हैं, जं. निम्न-स्तर (Low Level) के सिग्नल्स को प्राप्त करके उन्हें उच्चस्तर (High Level) में बदलकर वापस भेजते हैं। रिपीटर्स का प्रयोग कमजोर पड़ चुके सिग्नल्स ए। उनसे होने वाली समस्याओं से बचने के लिए किय जाता है। रिपीटर्स का प्रयोग नेटवर्क में कम्प्यूटरों का एक-दूसरे से जोड़ने वाले केबल की लम्बाई बढ़ाने में भी किया जाता है।

(ii) हब (Hub)

हब का प्रयोग ऐसे स्थान पर किया जाता है, जहाँ नेटवर्व की सारी केबल मिलती हैं। ये एक प्रकार का रिपीटर हो है, जिसमें नेटवर्क चैनलों को जोड़ने के लिए पोर्ट्स ल होते हैं। सामान्य तौर पर एक हब में 4, 8, 16 अथवा 2 पोर्ट लगे होते हैं। हब में कम्प्यूटरों को जोड़ना अथवा हब को आपस में जोड़ना या हटाना बहुत सरल होता है। एक बड़े हब में लगभग 24 कम्प्यूटरों को जोड़ा जा सकता है।

(iii) गेटवे (Gateway)

गेटवे एक ऐसी युक्ति है, जिसका प्रयोग दो विभिन्न नेटवर्क प्रोटोकॉल को जोड़ने के लिए किया जाता है। इन्हें प्रोटोकॉल परिवर्तक (Protocol Converter) भी कहते हैं। ये फायरवॉल की तरह कार्य करते हैं।

(iv) स्विच (Switch)

स्विच वे हार्डवेयर होते हैं, जो विभिन्न कम्प्यूटरों को एक लैन (LAN) में जोड़ते हैं। स्विच को हब के स्थान पर उपयोग किया जाता है। हब तथा स्विच के मध्य एक महत्त्वपूर्ण अन्तर यह है कि हब स्वयं तक आने वाले डेटा को अपने प्रत्येक पोर्ट पर भेजता है, जबकि स्विच स्वयं तक आने वाले डेटा को केवल उसके गन्तव्य स्थान (Destination) तक भेजता है।

(v) राउटर (Router)

राउटर का प्रयोग नेटवर्क में डेटा को कहीं भी भेजने में सी किया जाता हैं, इस प्रक्रिया को राउटिंग कहते हैं। राउटर एक जंक्शन की तरह कार्य करता है। बड़े नेटवर्कों में एक से अधिक रूट होते हैं, जिसके द्वारा सूचनाएँ अपने गन्तव्य स्थान तक पहुँच सकती हैं। ऐसे में राउटर्स ये तय करते हैं कि किस सूचना को किस रास्ते से उसके गन्तव्य तक पहुँचाना है।

(vi) ब्रिज (Bridge)

ब्रिज छोटे नेटवर्कों को आपस में जोड़ने के काम आते हैं, ताकि ये आपस में जुड़कर एक बड़े नेटवर्क की तरह काम कर सकें। ब्रिज एक बड़े या व्यस्त नेटवर्क को छोटे हिस्सों में बाँटने का भी कार्य करते है।

(vii) मॉडेम (Modem)

मॉडेम एनालॉग सिग्नल्स को डिजिटल सिग्नल्स में तथा डिजिटल सिग्नल्स को एनालॉग सिग्नल्स में बदलता है। एक मॉडेम को हमेशा एक टेलीफोन लाइन तथा कम्प्यूटर के मध्य लगाया जाता है।

डिजिटल सिग्नल्स को एनालॉग सिग्नल्स में बदलने की प्रक्रिया को मॉड्यूलेशन (Modulation) तथा एनालॉग सिग्नल्स को डिजिटल सिग्नल्स में बदलने की प्रक्रिया को डीमॉड्यूलेशन (Demodulation ) को कहते हैं।

(viii) नेटवर्क इण्टरफेस कार्ड ( (Network Interface Card, NIC)

इसे नेटवर्क इण्टरफेस कण्ट्रोलर भी कहा जाता है। के यह एक कम्प्यूटर हार्डवेयर घटक है, जो कम्प्यूटर को कम्प्यूटर नेटवर्क से जोड़ता है। नेटवर्क इण्टरफेस कार्ड कम्प्यूटर नेटवर्क के अनुदिश कम्प्यूटरों का सम्प्रेषण करने की अनुमति देता है।

नेटवर्क टोपोलॉजी क्या है What Is Network Topology In Hindi

टोपोलॉजी, नेटवर्क में कम्प्यूटरों को जोड़ने की भौगोलिक व्यवस्था होती है। इसके द्वारा विभिन्न कम्प्यूटर एक-दूसरे से परस्पर सम्पर्क स्थापित कर सकते हैं। नेटवर्क टोपोलॉजी (Network Topology) निम्नलिखित प्रकार की होती है

(i) बस टोपोलॉजी (Bus Topology)

बस टोपोलॉजी का प्रयोग ऐसे स्थानों पर किया जाता है, जहाँ अत्यन्त उच्चगति के कम्यूनिकेशन चैनल का प्रयोग सीमित क्षेत्र में किया जाना हो।

(ii) स्टार टोपोलॉजी (Star Topology)

स्टार टोपोलॉजी के अन्तर्गत एक होस्ट कम्प्यूटर होता है, जिससे विभिन्न लोकल कम्प्यूटरों (नोड) को सीधे जोड़ा जाता है। यह होस्ट कम्प्यूटर हब कहलाता है।

(iii) रिंग टोपोलॉजी (Ring Topology)

रिग टोपोलॉजी में कोई होस्ट या कोई हब या एक लम्बी केबल नहीं  होती। सभी कम्प्यूटर एक वृत्ताकार आकृति के रूप में केबल से जुड़े होते हैं। यह वृत्ताकार आकृति सर्कुलर नेटवर्क भी कहलाती है।

(iv) मैश टोपोलॉजी (Mesh Topology)

मैश टोपोलॉजी का प्रत्येक कम्प्यूटर, नेटवर्क में अन्य सभी कम्प्यूटरों से सीधे जुड़ा होता है। इसके अन्तर्गत डेटा के आदान-प्रदान का निर्णय प्रत्येक कम्प्यूटर स्वयं ही लेता है।

(v) ट्री टोपोलॉजी (Tree Topology)

ट्री टोपोलॉजी में एक केबल से दूसरी केबल एवं दूसरी केबल से तीसरी केबल, किसी ट्री की शाखाओं की तरह जुड़ी रहती है। इस टोपोलॉजी में रूट (Root) नोड सर्वर की तरह कार्य करती है।

(vi) हाइब्रिड टोपोलॉजी (Hybrid Topology)

हाइब्रिड टोपोलॉजी दो या दो-से-अधिक टोपोलॉजी का संयोजित रूप है।

ओपन सिस्टम इण्टरकनेक्शन मॉडल

यह कम्प्यूटर नेटवर्क की डिजाइनिंग के लिए विकसित किया गया, एक बहुस्तरीय (Multi-layered) ढाँचा है, जो सभी प्रकार के कम्प्यूटरों में संचार की अनुमति देता है।

ओपन सिस्टम इण्टरकनेक्शन (Open System Interconnection, os) का विकास वर्ष 1983 में ISO (International Standard. Organisation) के द्वारा दो कम्प्यूटरों के मध्य होने वाले संचरण का मानवीकरण करने के लिए किया गया।

ISO के द्वारा विकसित होने के कारण इसे ISO-OSI रेफ्रेंस मॉडल (ISO-OSI Reference Model) भी कहा जाता है। OSI मॉडल में कुल सात लेयर होती हैं, जिनका विवरण निम्नलिखित है

लेयर का नामप्रमुख कार्य
फिजिकल लेयरइस लेयर का मुख्य कार्य है, नेटवर्क के भौतिक कनेक्शन से सिग्नल्स को प्राप्त करना या भेजना।
डेटा लिंक लेयरयह लेयर डेटा के नोड (सिस्टम) से नोड (सिस्टम) तक विश्वसनीय डिलीवरी (Delivery) के लिए प्रयुक्त होती है।
नेटवर्क लेयर यह लेयर डेटा के पैकटों को स्रोत (Source) से गन्तव्य (Destination) तक पहुँचाती है।
ट्रांसपोर्ट लेयरयह लेयर पूरे सन्देश को स्त्रोत पर चलने वाले प्रोग्राम से गन्तव्य पर चलने वाले प्रोग्राम तक पहुँचाती है।
सेशन लेयरयह लेयर दो नोड्स (सिस्टम) को आपस में संवाद स्थापित करने की अनुमति देती है।
प्रेजेण्टेशन लेयरयह लेयर डेटा को कम्प्यूटर के वांछित प्रारूप में बदलती है।
एप्लीकेशन लेयरयह लेयर उपयोगकर्ता के द्वारा आवेदित सेवाएँ प्रदान करती है, जैसे-ई-मेल या फाइल ट्रांसफर। यह परत ई-मेल/फाइल भेजने तथा संगृहीत रखने के लिए आधार उपलब्ध कराती है।

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