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सूचना प्रौद्योगिकी: परिभाषा, कार्य, घटक और उद्देश्य

सूचना प्रौद्योगिकी संसार में सभ्यता एवं संस्कृति के विकास के समय से ही मनुष्य अपनी आवश्यकतानुसार डेटा (सूचना) को परिवर्तित कर उसे संशोधित करता रहा है। डेटा सूचना एवं डेटा संसाधन आदि सभी कम्प्यूटर से सम्बन्धित विभिन्न पद हैं, जो सूचना प्रौद्योगिकी (Information ( Technology) के मजबूत आधार स्तम्भ माने जाते हैं। विगत कुछ दशकों में सूचना प्रौद्योगिकी का अप्रत्याशित विकास हुआ है। इसमें परोक्ष रूप से इण्टरनेट की मुख्य भूमिका रही है। सूचना प्रौद्योगिकी के उन्नयन के साथ ही उसके दुरुपयोग की दिशा में भी कम प्रयास नहीं हुए हैं। सूचना प्रौद्योगिकी के दुरुपयोग को ‘साइबर क्राइम’ ‘ की संज्ञा दी गई है। किसी वस्तु, वस्तुओं के समूह अथवा कार्य के बारे में दिए गए किसी तथ्य या जानकारी को डेटा कहा जाता है। उपयोगी डेटा को तकनीकी भाषा में सूचना कहा जाता है।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000

इलेक्ट्रॉनिक व्यापार और इलेक्ट्रॉनिक लेन-देन को बढ़ावा देने हेतु कानूनी स्वरूप प्रदान करने के लिए भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 (Information Technology Act, 2000) का गठन किया। इस अधिनियम का उद्देश्य इलेक्ट्रॉनिक अनुबन्धों को मान्यता देना, कम्प्यूटर अपराधों को रोकना, दस्तावेजों को इलेक्ट्रॉनिक रूप से भरना, डिजिटल हस्ताक्षर आदि हैं। यह अधिनियम विश्व व्यवस्थाओं के अनुरूप भारत में भी इण्टरनेट पर गोपनीय, प्रामाणिकता, ईमानदारी जैसी आवश्यक सुरक्षा आवश्यकताओं वाली प्रौद्योगिकियों को एक कानूनी स्वरूप प्रदान करता है एवं सभी कानूनी आवश्यकताओं के लिए पारम्परिक कागजी दस्तावेजों के स्थान पर इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्डों को प्राथमिक सबूत का दर्जा देता है।

सूचना प्रौद्योगिकी (संशोधन) अधिनियम, 2008

मौजूदा सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 के प्रावधानों में कुछ और मुद्दे जोड़कर सूचना प्रौद्योगिकी संशोधन अधिनियम, 2008 (The Information Technology (Amendment) Act, 2008) का गठन किया गया, जिसके उद्देश्य निम्नलिखित हैं

  1. साइबर घटनाओं पर सूचना का संग्रह।
  2. विश्लेषण और उसका प्रसार करना।
  3. साइबर सुरक्षा घटनाओं का पूर्वानुमान और सतर्कता।
  4. साइबर घटना पर प्रतिक्रिया गतिविधियों का समन्वय।
  5. साइबर सुरक्षा घटनाओं पर कार्यवाही हेतु आपातकालीन उपाय।
  6. सूचना सुरक्षा पद्धतियों, प्रतिक्रियाओं के सम्बन्ध में मार्गदर्शी सिद्धान्त।
  7. अतिसंवेदनशील टिप्पणियाँ तथा श्वेत-पत्रों को जारी करना। –

भारत के पास आई टी क्षमताएँ हैं, जिन्हें वास्तविक धरातल पर उतारने हेतु हमें आई टी कम्पनियों को ढाँचागत और नागरिक सुविधाएँ, प्राथमिकता अनुरूप समुचित तैयारी करने के लिए ठोस रणनीति बनाना और उस पर सिलसिलेवार ढंग से अमल करना अति आवश्यक है, तभी हम इस क्षेत्र में अपनी क्षमताओं का अधिकाधिक उपयोग करके अपनी अर्थव्यवस्था को भी एक ठोस दिशा प्रदान कर पाएंगे।

सूचना प्रौद्योगिकी नियम, 2018

सूचना प्रौद्योगिकी मन्त्रालय ने वर्ष 2011 1 अधिसूचित नियमों के स्थान पर सूचना प्रौद्योगिकी नियम वर्ष 2018 का मसौदा तैयार किया है। जिसमें गैर-कानूनी सामाग्री को हटाने हेतु निम्न प्रावधान है।

  • सामाग्री को हटाने के लिए संक्रिय निगरानी अकरण स्थापित करना।
  • सम्पूर्ण देश में सम्पर्क अधिकारियों की नियुक्ति करना। साइबर सुरक्षा सम्बन्धी घटनाओं को भारतीय कम्प्यूटर आपातकालीन प्रतिक्रिया टीम के साथ दर्ज करना।
  • किसी भी सरकारी एजेंसी द्वारा मांगी गई जानकारी को 72 घण्टे के अन्दर उपलब्ध कराना। गैर-कानूनी सामाग्री को पहचान कर उसको हटाने के लिए फ्लैगर्स (Flaggers) की तैयारी होनी चाहिए।

नोट सूचना प्रौद्योगिकी मन्त्रालय, भारत सरकार ने सूचना प्रौद्योगिकी (जनता द्वारा सूचना उपयोग को अवरूद्ध करने की प्रक्रिया एवं सुरक्षा उपाय) नियम-2009 से सम्बन्धित प्रावधानों के अनुसार दी से गई शक्तियों का प्रयोग करते हुए खतरों की उभरती प्रकृति को ध्यान में रखते हुए तीन बार में कुल 224 चीनी मोबाइल एप्स को प्रतिबन्धित कर दिया है।

डिजिटल हस्ताक्षर

डिजिटल हस्ताक्षर, किसी डिजिटल सन्देश अथवा दस्तावेज की प्रामाणिकता को निरूपित करने के लिए एक गणितीय योजना है। एक मान्य/स्वीकारणीय डिजिटल हस्ताक्षर, डाटा प्राप्तकर्ता को यह विश्वास दिलाता है कि सन्देश किसी ज्ञात प्रेषक द्वारा तैयार किया गया था और उसे पारगमन में बदला नहीं गया था। डिजिटल हस्ताक्षर सामान्यत: सॉफ्टवेयर वितरण, वित्तीय लेन-देन और ऐसे अन्य मामलों में प्रयुक्त होते हैं, जहाँ जालसाजी और छेड़छाड़ का पता लगाना अत्यधिक महत्त्वपूर्ण होता है। डिजिटल हस्ताक्षर गैर-अस्वीकरण प्रदान करते हैं अर्थात् हस्ताक्षरकर्ता यह दावा नहीं कर सकता कि उसने सन्देश पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं।

साइबर सुरक्षित भारत पहल

  • यह इलेक्ट्रॉनिक और सूचना तकनीकी मन्त्रालय (Ministry of Electronics and Information Technology, Meity) के द्वारा लॉन्च हुआ है। यह नेशनल ई-गवर्नेस डिवीजन (National E-Governance Division, NEGD) और उद्योग भागीदारों के सहयोग से लॉन्च किया गया था।
  • साइबर सुरक्षित भारत एक प्रकार की सार्वजनिक-प्राइवेट साझेदारी है, जो साइबर सुरक्षा में आईटी उद्योग की विशेषता का लाभ उठाएगा।
  • इन्होंने संस्थापक भागीदारों में माइक्रोसॉफ्ट, इंटेल, विप्रो, रेड हैट और आयाम डेटा जैसे अग्रणी आईटी कम्पनियों को शामिल किया है।
  • इसका उद्देश्य साइबर क्राइम के बारे में जागरूकता फैलाना था।

नेशनल इन्फॉर्मेशन सेन्टर-कम्प्यूटर इमेरजेंसी रेस्पॉन्स टीम

NIC-CERT सरकारी नेटवर्क पर साइबर अटैक के शुरुआती पहचान और शमन (Mitigation) में निगरानी और सहायता करेगा। इसे व्यापक रूपरेखा बनाने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है, जो विश्व स्तर के सुरक्षा घटकों को एकीकृत करता है। यह CERT.In के साथ और अन्य क्षेत्रीय CERT के साथ घनिष्ठ समन्वय और सहयोग में काम करेगा। एडवान्स टूल का प्रयोग करके, NIC-CERT टीम उन घटनाओं से सम्बन्धित होगी जो हमले की सतह के कैनवास उत्पन्न करने में मदद करेंगे और उनकी कमजोरियों की पहचान करेंगे।

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