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बायोमैट्रिक तकनीक क्या है | Biometric Technology in Hindi

बायोमैट्रिक तकनीक क्या है इन्फॉर्मेशन टेक्नोलॉजी में, बायोमैट्रिक तकनीक (Biometric Technique) का प्रयोग व्यक्ति के प्रमाणीकरण के लिए करते हैं। बायोमैट्रिक तकनीक का मुख्य प्रयोग सुरक्षा के उद्देश्य से किया जाता है। इसका प्रयोग किसी संगठन में कर्मचारियों या संस्थान में विद्यार्थियों की उपस्थिति दर्ज करने के लिए भी किया जाता है। कुछ बायोमैट्रिक तकनीक निम्नलिखित हैं

फेस रिकॉगनिशन

यह पहचान सत्यापन से सम्बन्धित एक नवीन प्रौद्योगिकी है, इसमें व्यक्ति के चेहरे (Face) के विभिन्न हिस्सों को पहचान (Recognition) चिन्ह दिया जाता है। ये मुख्यत: वे हिस्से होते हैं, जिनमें बदलाव की सम्भावना न्यूनतम होती है; जैसे—आँख के ऊपर भौंहे, मुख के पक्ष, ठोडी इत्यादि।

स्मार्ट कार्ड

एक ऐसी युक्ति जिसमें एक या अधिक इण्टीग्रेटेड सर्किट (आईसी) होते हैं एवं इसमें मैग्नेटिक स्ट्रिप, बारकोड, कॉण्टैक्ट लेन्स, बायोमैट्रिक इन्फॉर्मेशन, रेडियो फ्रीक्वेन्सी ट्रांसमीटर, अभिकूटन और प्रमाणीकरण या फोटो पहचान जैसी एक या अधिक मशीन पठनीय तकनीक शामिल हो सकती हैं। आईसी चिप को एक स्मार्ट कार्ड (Smart Card) में लगाया जाता है, जो एक माइक्रो कण्ट्रोलर या कम्प्यूटर के रूप में कार्य करते हुए कई कार्यचालन उपलब्ध कराती है। चिप की मैमोरी में डेटा (आँकड़े) संचित रहते हैं और पूर्णत: विभिन्न प्रसंस्करण अनुप्रयोगों द्वारा इन तक पहुँचा जा सकता है।

बायोमैट्रिक पासपोर्ट

इसे ई-पासपोर्ट या डिजिटल पासपोर्ट के नाम से भी जाना जाता है। यह एक संयुक्त कागजी एवं इलेक्ट्रॉनिक पहचान-पत्र है, जो नागरिकता एवं अन्य व्यक्तिगत जानकारियों के प्रमाणीकरण के लिए जैवमिति का प्रयोग करता है। पासपोर्ट की जरूरी सूचनाएँ एक कम्प्यूटर चिप में जिस प्रकार एकत्रित की जाती हैं, उसी प्रकार स्मार्ट कार्ड में भी एक पासपोर्ट बुक डिजाइन के रूप में भी एक संलग्न सम्पर्करहित चिप होती है, जो पासपोर्ट एवं जैवमितीय आँकड़ों की सत्यनिष्ठा को निर्धारित करने के लिए डिजिटल हस्ताक्षर धारण करने में समर्थ हो। प्रत्येक जैवमितीय विशेषता का मात्र डिजिटल चित्र ही चिप में संचित होता है।

आइरिस स्कैनिंग

आइरिस (Iris) पहचान के तहत आँख के रंगीन भाग में आइरिस प्रतिरूप को मापा जाता है। आइरिस प्रतिरूप जन्म के समय यादृच्छिक रूप से निर्मित होते हैं और प्रत्येक आँख के लिए अलग-अलग होते हैं। फिंगर प्रिण्टरों की 40 से 50 विशेषताओं की तुलना में में आइरिस में 250 से अधिक विशिष्ट विशेषताएँ इसे उपयोगी सिद्ध करती हैं। आइरिस स्कैनिंग इसके अन्तर्गत एक कैमरे से एक या दोनों आँखों का चित्रण लिया जाता है।

यह कैमरा आँखों पर केन्द्रित रहता है और पलकों द्वारा बाधित क्षेत्रों एवं आइरिस (Iris) को परिधि में लेता है। यह चित्र गोलाकार संजालों में विभाजित होकर प्रत्येक क्षेत्र को अद्वितीय प्रतिरूपों के लिए विश्लेषित करता है। यह सूचना एक टैम्पलेट के रूप में प्रयुक्त कैमरे में एक अभिकलन (डेटा) के रूप में बदल दी जाती है। आइरिस प्रतिरूप जुड़वाँ लोगों के बीच भी अलग-अलग होते हैं और ये प्रतिरूप पूरे जीवनभर अपरिवर्तित रहते हैं।

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