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दूरसंचार क्या है | दूरसंचार के बारे में जानकारी

दूरसंचार क्या है “दूरसंचार (Telecommunication) वह संचार है, जिसमें किसी तकनीक द्वारा विद्युत चुम्बकीय तरंगों या विद्युत सिग्नलों को एक निश्चित दूरी तक भेजा जाता है। यह देश के आर्थिक विकास, सामाजिक सम्बन्धों की प्रगति एवं सांस्कृतिक एकता में संचार के साधनों की महत्त्वपूर्ण भूमिका है।”

दूरसंचार देश के आर्थिक और सामाजिक विकास की कुंजी है। टेलीग्राफ और टेलीफोन के आविष्कार के पश्चात् ही भारत में दूरसंचार सेवाओं की शुरूआत हो गई थी। 1837 ई. में सबसे पहले अमेरिकी आविष्कारक सैमुएल एफ बी मोर्स (Samuel F B Morse) ने इलेक्ट्रिकल सिग्नल्स के द्वारा टेलीग्राफी सिस्टम विकसित करने में सफलता पाई।

सूचनाओं को भेजने के लिए उन्होंने मोर्स कोड (Morse Code) विकसित किया तथा टेलीग्राफी के कॉमर्शियल उपयोग के बारे में भी बताया, जिसके बाद लम्बी दूरी की सूचनाओं को प्रेषित करने और प्राप्त करने के यन्त्र का टेलीग्राफ और उन सन्देशों को टेलीग्राम कहा जाने लगा।भारत में कलकत्ता (कोलकाता) और डायमण्ड हार्बर (Diamond Harbor) के बीच पहली टेलीग्राफ लाइन 1851 ई. में चालू हुई। टेलीग्राफ की तरह ही टेलीफोन सेवा की शुरूआत भी 1881-82 ई. में कलकत्ता में हुई। वर्ष 1900 तक भारतीय रेलवे में टेलीग्राफ और टेलीफोन का उपयोग शुरू हुआ।

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण

भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण (Telecom Regulatory Authority of India, TRAI) की स्थापना 20 फरवरी, 1997 में हुई और वर्ष 1999 में नई दूरसंचार नीति की घोषणा की गई थी, जिसमें इस क्षेत्र के विकास के लिए ढाँचा उपलब्ध कराने और सूचना प्रौद्योगिकी महाशक्ति (सुपर पावर) बनाने की परिकल्पना को सुसाध्य बनाने और देश में एक विश्वस्तरीय अवसंरचना विकसित करने पर जोर दिया गया था।

भारतीय दूरसंचार उद्योग दुनिया का सबसे तेजी से बढ़ता दूरसंचार उद्योग है, जिसके पास मई, 2016 तक 1058.53 मिलियन टेलीफोन (लैण्डलाइन और मोबाइल) ग्राहक तथा 1033.16 मिलियन मोबाइल फोन कनेक्शन थे। वायरलेस कनेक्शनों की संख्या के आधार पर दूरसंचार नेटवर्क उपलब्ध कराने वाले देशों में चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश भारत है।

 दूरसंचार वायरलेस नेटवर्क की पीढ़ियाँ

(i) पहली पीढ़ी (First Generation, 1G)

1G वायरलेस टेलीफोन तकनीक की पहली पीढ़ी है। ये वे दूरसंचार मानक हैं, जिन्हें पहली बार वर्ष 1980 में विकसित किया गया। 1G नेटवर्क में प्रयुक्त रेडियो संकेत प्रायः एनालॉग (Analog) होते हैं। 1G प्रणाली की गति 28 Kbps से 56 Kbps के बीच होती है। इसका अर्थ है कि इसकी वास्तविक डाउनलोड गति 2.9 Kbytels से लेकर 5.6 Kbytels तक की होती है। पहला वाणिज्यिक रूप से स्वचालित सेल्युलर नेटवर्क, जापान में निप्पोन टेलीग्राफ तथा टेलीफोन (Nippon Telegraph and Telephone, NTT) द्वारा वर्ष 1979 में लॉन्च किया गया था।

(ii) दूसरी पीढ़ी (Second Generation, 2G)

GSM (Global System for Mobile) मानक पर आधारित पहली वाणिज्यिक, द्वितीय पीढ़ी की सेल्युलर टेलीकॉम नेटवर्क को रेडियो के अलावा, फिनलैण्ड द्वारा वर्ष 1991 में लॉन्च किया गया था। 1G नेटवर्क के रेडियो सिग्नल एनालॉग होते हैं, जबकि 2G नेटवर्क के रेडियो सिग्नल डिजिटल होते हैं। ये दोनों ही प्रणालियाँ रेडियो टावरों को बाकी टेलीफोन प्रणाली से जोड़ने (जिसे हैण्डसेट द्वारा सुना जाता है) के लिए डिजिटल संकेतकों का उपयोग करती हैं। अपनी पूर्ववर्ती प्रणालियों की तुलना में 2G नेटवर्क की प्रमुख विशेषता यह है कि इसमें फोन पर की जाने वाली बातचीत डिजिटली एनक्रिप्टेड (Digitally Encrypted) होती है।

(iii) तीसरी पीढ़ी (Third Generation, 3G)

यह मोबाइल फोन तथा मोबाइल संचार प्रणाली हेतु मानकों की स्थापना की पीढ़ी है, जोकि अन्तर्राष्ट्रीय दूरसंचार संघ द्वारा निर्धारित अन्तर्राष्ट्रीय मोबाइल दूरसंचार 2000 (IMT-2000) की शर्तों को पूरा करती है। पहला पूर्व-वाणिज्यिक 3G नेटवर्क NTT डोकोमो द्वारा वर्ष 1998 में जापान द्वारा लॉन्च किया गया था। 3G की पहली वाणिज्यिक लॉन्चिंग भी NTT डोकोमो द्वारा जापान में ही वर्ष 2001 में की गई थी। भारत में 3G प्रणाली युक्त सेवा ने दिल्ली में सरकार द्वारा अधिकृत महानगर टेलीफोन निगम द्वारा की गई लॉन्चिंग के साथ ही 3G युग में प्रवेश कर लिया और पुनः वर्ष 2008 में इसे मम्बई में शुरू किया गया। MTNL भारत में सबसे पहली 3G सेवा प्रदान करने वाली कम्पनी है।

(iv) चौथी पीढ़ी (Fourth Generation, 4G)

यह तीसरी पीढ़ी के सेलफोन मोबाइल कम्युनिकेशन मानकों की अगली कड़ी है। इण्टरनेशनल मोबाइल टेलीकम्युनिकेशन एडवांस्ड स्पेसिफिकेशन (International Mobile Telecommunication Advanced Specification) के अनुसार, 4G सेवाओं के पास उच्च मोबिलिटी कम्युनिकेशन (जैसे- ट्रेन एवं कार से) के लिए प्रति सेकण्ड 100 मेगाबाइट्स की उच्चतम गति है और निम्न मोबिलिटी कम्युनिकेशन के लिए प्रति सेकण्ड 1 गीगाबाइट है। स्मार्टफोन एवं अन्य मोबाइल उपकरण 4G सिस्टम USB वायरलेस मॉडेम के साथ लैपटॉप के लिए मोबाइल अल्ट्रा-ब्रॉडबैण्ड इण्टरनेट प्रचालन की सुविधा प्रदान करते हैं। 4G के विचारणीय/सम्भावित प्रयोगों एवं उपयोगों में शामिल हैं—संशोधित मोबाइल वेब एक्सेस, आई पी टेलीफोनी, गेमिंग, सर्विसेज, हाई डेफिनिशन मोबाइल टीवी, वीडियो कॉन्फ्रेन्सिग एवं 3D टेलीविजन। देश की दिग्गज टेलीकॉम (दूरसंचार) कम्पनी भारती एयरटेल ने अप्रैल, 2012 में कोलकाता में देश में पहली बार TD-LTE Time Division Duplex Long Term Evolution) तकनीकी का प्रयोग करके 4G नेटवर्क पेश किया था।

(v) पाँचवीं पीढी (Fifth Generation, 5G)

कुछ शोध पत्रों एवं परियोजनाओं में वायरलेस सिस्टम के नाम का इस्तेमाल दूरसंचार मानकों के अगले मुख्य चरण को इंगित करने के लिए किया गया, जो 4G/IMT एडवांस स्टैण्डर्ड्स के बाद का चरण है। वर्तमान में, 5G का इस्तेमाल किसी विशेषीकरण अथवा किसी कार्यालयी दस्तावेज अथवा मानकीकरण निर्धारित करने वाले संस्थानों; जैसे-3GPP, WiMAX Forum अथवा ITU द्वारा विधिक रूप से नहीं किया गया है।

राष्ट्रीय डिजिटल संचार नीति 2018

इस नीति का उद्देश्य भारत को डिजिटल रूप से सशक्त अर्थव्यवस्था और समाज बनाना है। इसके तहत, वर्ष 2022 तक 40 लाख नए रोजगार सृजन करने के महत्त्वपूर्ण लक्ष्य के साथ ही अन्य कई सुविधाओं का प्रावधान किया गया है।

नई पॉलिसी के ड्राफ्ट में निम्नलिखित लक्ष्यों का निर्धारण किया गया है

  1.  वर्ष 2020 तक सभी ग्राम पंचायतों को 1 gbps ब्रॉडबैण्ड की सुविधा प्रदान कराना।
  2. वर्ष 2022 तक 10 gbps ब्रॉडबैण्ड की सुविध प्रदान कराना।
  3. टेलीकॉम सेक्टर में 100 अरब डॉलर के निवेश को आकर्षित करना।
  4. 50 mbps स्पीड ब्रॉडबैण्ड सेवा उपलब्ध करवाना।
  5. 40 लाख नए लोगों को रोजगार उपलब्ध करवाना।
  6. वर्ष 2020 तक यूनिक मोबाइल सब्सक्राइबर घनत्व को 55 तथा वर्ष 2022 तक 65 तक बढ़ाना।

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