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गणतंत्र दिवस पर निबंध

हम प्रत्येक वर्ष 26 जनवरी के दिन बड़े उत्साह से गणतंत्र दिवस मनाते हैं। यह हमारा राष्ट्रीय पर्व है। 26 जनवरी का हमारा स्वतंत्रता संग्राम में बड़ा महत्व रहा है। 1929 ई. में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन में सभापति के पद से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने राष्ट्र के लिए एक पूर्ण स्वतंत्रता का लक्ष्य घोषित किया था इसके बाद पहली बार 26 जनवरी 1930 को देश के लोगों ने स्वतंत्रता की प्रतिज्ञा दोहराई यह क्रम 1947 तक बराबर चलता रहा और देशवासी स्वतंत्रता के लिए प्रयत्न करते रहे। स्वतंत्रता संग्राम का अंतिम सग्राम सन 1942 में प्रारंभ हुआ।

गणतंत्र दिवस का महत्व

यह पूरे भारत में एक आवश्यक त्योहार है। लोग इस त्योहार को मन की शांति के साथ मनाते हैं। भारत का प्रत्येक नागरिक इस बात का सम्मान करता है कि कई कठिन परिश्रमों के बाद भारत का राष्ट्रीय त्योहार स्वतंत्र हुआ और भारत में संविधान प्राप्त हुआ। 1946 के वर्ष में, भारत को स्वतंत्रता मिलती है, और 30 महीने के बाद भारत को 26 जनवरी 1950 को गणतंत्र प्राप्त होता है।

इसके परिणामस्वरूप 1947 ई. में अंग्रेज भारत से जाने को बाध्य हुए और 15 अगस्त 1947 हमारा देश स्वतंत्र हुआ उसी समय देश का संविधान बनाने के एक सभा बनाई गई जिसका नाम संविधान रखा गया। इसके बनाए हुए सविधान को 26 जनवरी 1950 ई. को सारे देश में लागू कर दिया गया और भारत हो  संप्रभुतासंपन्न गणराज्य घोषित किया गया। इसी दिन डॉ राजेंद्र प्रसाद भारतीय गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति बने। तभी से 26 जनवरी गणतंत्र दिवस के रूप में मनाई जाती है।

भारत में गणतंत्र दिवस कब और क्यों मनाया जाता है?

भारत का गणतंत्र दिवस हर साल 26 जनवरी को मनाया जाता है। यह राष्ट्रीय पर्व और राजपत्रित अवकाश के रूप में मनाया जाता है। 1950 में इसी तारीख को भारत का संविधान एक स्वतंत्र गणराज्य के रूप में भारत के उद्भव को चिह्नित करने के लिए आया था। संविधान सभा ने 26 नवंबर 1949 को संविधान को अपनाया था, लेकिन यह केवल 26 जनवरी 1950 से लागू हुआ। भारत का संविधान एक स्वतंत्र और लोकतांत्रिक गणराज्य के रूप में भारत की शुरुआत को चिह्नित करने वाला भूमि का सर्वोच्च कानून है; इसलिए, 26 जनवरी को इसकी स्थापना गणतंत्र दिवस के रूप में मनाई जाती है।

भारत का गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को क्यों मनाया जाता है?

भारत का गणतंत्र दिवस 26 जनवरी को मनाया जाता है क्योंकि यह 1950 की उसी तारीख को था जब भारत का संविधान लागू हुआ था; एक स्वतंत्र गणराज्य के लिए एक डोमिनियन से उसके संक्रमण को चिह्नित करना। यह 26 जनवरी 1930 को भी हुआ था कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने ब्रिटिश शासन द्वारा प्रस्तावित डोमिनियन स्थिति के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता की घोषणा (पूर्ण स्वराज या कुल स्वतंत्रता) की घोषणा की थी।

भारत के संविधान ने भारत सरकार के अधिनियम 1935 को ब्रिटिश संसद द्वारा पारित कर दिया, 26 जनवरी 1950 को भारत के शासी दस्तावेज के रूप में। संविधान की स्थापना के बाद, भारत स्वतंत्र हो गया और लोकतांत्रिक गणराज्य का अपना शासन या स्व शासन या स्वराज हो गया। इसलिए, भारत के संविधान की स्थापना और उसके प्रभुत्व से गणतंत्र में संक्रमण का जश्न मनाने के लिए, भारत 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाता है।

गणतंत्र दिवस कैसे मनाया जाता है

सभी राज्यों के मुख्यालय जिला तहसील ओ शिक्षा संस्थाओं आदि में गणतंत्र दिवस पूरे उत्साह से मनाया जाता है। सभी शासकीय भवनों पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। राज्य तथा जिले के मुख्यालय में पुलिस की परेड होती है। अनेक स्थानों में शिक्षा संस्थाएं और सरकारी विभाग आकर्षक झांकियां भी निकालते हैं। विद्यालयों में भी इस राष्ट्र पर्व को उत्साह से बनाते हैं। प्रातकाल छात्रों के प्रभातफेरी के लिए निकलते हैं। सभी छात्र विद्यालय में आते हैं। प्रधानाचार्य विद्यालय भवन पर राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं। इस अवसर पर शिक्षा अधिकारी के संदेश पढ़े जाते हैं। विद्यालय के प्रधानाचार्य भी अपने भाषण द्वारा स्वतंत्रता के महत्व का पुनः स्मरण कराते हैं।

इस कार्यक्रम के पश्चात खेलकूद की प्रतियोगिता होती है। प्रतियोगिता में बड़े उत्साह से भाग लेते हैं मनोरंजन होता है। सारा दिन बड़ी चहल-पहल से व्यतीत होता है। नगर की अन्य सामाजिक संस्थाएं भी अलग-अलग कार्यक्रमों का आयोजन करती हैं अनेक सार्वजनिक भवनों पर रात में बिजली की सजावट की जाती है। कवि सम्मेलन, मुशायरा तथा अन्य संस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन भी होता है।

राजधानी दिल्ली में इस राष्ट्रपर्व का भव्य आयोजन होता है, जिसे देखने के लिए देश-विदेश के अनेक व्यक्ति आते हैं। दिल्ली में आकर्षण का प्रमुख केंद्र राजपथ होता है। सेना के तीनों अंगों अपने आधुनिक हथियारों साथ है पथसंचलन करते हुए निकलते हैं। विजय चौक पर राष्ट्रपति सलामी लेते हैं। इन टुकड़ों के पीछे NCC कैंडिडेट और छात्र-छात्राओं दल रहते हैं अंत में राज्यों की झाकियों और लोक नर्तको के दल निकलते है। यह जुलुस दिल्ली की प्रमुख सडको से होता हुआ लाल किले पर समाप्त होता है लाखों लोग इस उत्सव को देखने के लिए प्रातकाल से ही राजपथ से लाल किले के बीच सड़कों के दोनों तरफ खड़े हो जाते हैं।

गणतंत्र दिवस पर हर भारतीय हृदय उल्लास से भरा होता है। जन जन का उत्साह है देश के नागरिकों की राष्ट्रीयता की प्रगाढ़ भावना का परिचय देता है। गणतंत्र दिवस हमें उन शहीदों एवं स्वतंत्रता संग्राम के सेनानियों का स्मरण कराता है जिनके बलिदान से आज हम स्वतंत्र हवा में सांस ले रहे हैं। किंतु इन शहीदों की कुर्बानी तभी सार्थक होगी जब हम अपने कर्तव्य का पूरी ईमानदारी के साथ पालन करेंगे। ईमानदारी, श्रम और दृढ़ निश्चिय किसी भी भी देश की प्रगति एव सम्मान के मूल मंत्र है। हमें इनका पालन करते हुए देश की प्रगति में भागीदारी बनना चाहिए और राष्ट्र को महानता के शिखर पर पहुंचाने का प्रयास करना चाहिए तभी हम गौरव के साथ जीवन जी सकेंगे।

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