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अयोध्या का फैसला

अयोध्या का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने 9 नवंबर, 2019 को अयोध्या राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद मामले पर अपना फैसला सुनाया। फैसला सुनाए जाने से पहले देश भर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई थी। यूपी, दिल्ली और अन्य राज्यों में धारा 144 लगाई गई थी। साथ ही छात्रों की सुरक्षा के लिए स्कूल और शैक्षणिक संस्थान बंद कर दिए गए।

SC का फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने विवादित 5 एकड़ भूमि में राम मंदिर के निर्माण का रास्ता साफ कर दिया। अदालत ने कहा कि हिंदू पक्ष ने अपने तर्क स्थापित किए कि उनके पास बाहरी आंगन है। मुस्लिम पक्ष कब्जा साबित करने में विफल रहा। इसने केंद्र को मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को 5 एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्देश दिया।

फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली 5 न्यायाधीशों की पीठ ने सुनाया। पीठ में जस्टिस अशोक भूषण, एस ए बोबड़े, डी वाई चंद्रचूड़ और एस अब्दुल नाज़ेर भी शामिल थे। 5-0 के फैसले में, सभी न्यायमत एकमत हो गए।

अयोध्या भूमि विवाद की समयरेखा

1885: अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए महंत रघुबर दास द्वारा पहला मुकदमा दायर किया गया।
1949: बाबरी मस्जिद के किनारे भगवान राम की मूर्तियां मिलीं।
1950 और 1990 के बीच हिंदू और मुस्लिम दोनों धार्मिक संगठनों द्वारा 5 अन्य मुकदमे दायर किए गए
1992: दर्जनों दक्षिणपंथी कार्यकर्ताओं द्वारा बाबरी मस्जिद को ढहा दिया गया।
2010: इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एक निर्णय सुनाया जिसमें विवादित भूमि को तीन वादियों जैसे कि निर्मोही अखाड़ा, सुन्नी वक्फ बोर्ड और राम लल्ला के बीच बाँट दिया।

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